PETA इंडिया ने मुंबई पुलिस से आग्रह किया कि निर्भया जैसी कोई और घटना न होने दें।

Posted on by Surjeet Singh

एक मादा कुत्ते का नुकीले हथियार से बलात्कार व हत्या करने वाले सुरक्षा गार्ड के खिलाफ कढ़े कदम उठाए जाने की जरूरत है।

PETA इंडिया ने मुंबई के पुलिस कमिशनर को पत्र लिखकर एक मादा कुत्ते का नुकीले हथियार से बलात्कार व हत्या करने वाले सुरक्षा गार्ड के खिलाफ दर्ज प्राथमिक रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 377 को रिपोर्ट में शामिल करने का आग्रह किया है। सुरक्षा गार्ड के द्वारा मादा कुत्ते का बलात्कार करने के बाद उसके गुप्तअंग में नुकीला हथियार डालने से उसके अंदरूनी भाग शक्त विशक्त हो गए व उसकी मौत हो गयी थी। यदि इस आरोपी को रिहा किया गया तो इसका अगला शिकार कोई इंसान होगा। मशहूर निर्भया कांड में भी एक महिला से बलात्कार कर उसके गुप्तांग को लोहे की राड से शक्त विशक्त किया गया था जिसके चलते बाद में उसकी मृत्यु हो गयी थी।

मुंबई में सड़क पर घूमने वाले कुत्तों के लिए कार्यरत संस्था “मुंबई एनिमल्स एसोसिएशन” के एक सदस्य अभिषेक काप्दोस्कर की शिकायत पर समता नगर पुलिस ने दिनांक 22 अगस्त को प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज की थी। उस समय रिपोर्ट में केवल भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 429 तथा “प्रीवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स एक्ट 1960 की धारा 11 (1)(a) तथा (I) को शामिल किया गया था किन्तु अब PETA इंडिया ने पुलिस आयुक्त से आग्रह कर भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को भी शामिल करने का आग्रह किया है ताकि आरोपी को “इंसान द्वारा जानवर का बलात्कार” की धारा के तहत सजा मिल सके।

जानवरों के खिलाफ ऐसी क्रूरता भरी घटनाएं एक गंभीर मानसिक अशांति का संकेत देती है। मनोविज्ञान तथा अपराध विज्ञान के क्षेत्र में हुए शोध बताते है इस प्रकार के अपराध करने वाले लोग केवल वही तक सीमित नही रहते बल्कि बहुत से लोग इस से आगे बढ़ते हुए इन्सानों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। और अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन ने पाया है की इतिहास में पहले भी जानवरों के प्रति क्रूरता, निरंतर रूप से बलात्कार व हत्या करने वाले अपराधियों की आपराधिक मानसिकता का एक लक्षण रहा है।

अमेरिका में 21 वर्ष तक चले एक अध्ययन में पाया गया की जानवरों के प्रति अपराध के दोषियों में दो तिहाई लोगों द्वारा इंसान पर भी हमले किए गए थे। अध्ययन में यह भी पाया गया की यौन उत्पीड़न के दोषी पाये गए 100 प्रतिशत आरोपियों का इतिहास क्रूरता से भरा था। और महत्वपूर्ण बात यह है की एक अन्य अमेरिकी अध्ययन में जानवरों के प्रति अपराधों के दोषो का बचाव कर रहे 96 प्रतिशत आरोपियों ने माना की उन्होने इन्सानों का भी यौन उत्पीड़न किया है।

इस तरह के उदाहरणों में एक नाम अमीरुल इस्लाम का है जिसको केरल में कानून की पढ़ाई कर रही एक छात्रा के बलात्कार व हत्या के जुर्म में सजा सुनाई गयी, इस अपराध से पहले यह शक्स एक बकरी व कुत्ते के साथ बलात्कार कर उनकी हत्या भी कर चुका था। उत्तरी आयरलैंड के एक अपराधी जोसफ बेटसन को 6 वर्षीय बच्ची का यौन उत्पीड़न करने का दोषी करार दिया गया, इस अपराध से पहले जोसफ ने जानवरों के एक फार्म पर 17 जानवरों के साथ दुष्कर्म करने की बात स्वीकार की थी। अमेरिका के अपराधी जेरी कुक को जानवरों के साथ क्रूरता का दोषी पाया गया जिसने एक कुत्ते से बलात्कार करने के बाद उसको बुरी तरह घायल कर दिया था तथा एक घर में चोरी करने के दौरान उस घर के मालिक पर हमला कर दिया था। कुक की आपराधिक मानसिकता लगभग दो दशक पहले शुरू हुई जब उसको एक इंसान के साथ पहले दर्जे के बलात्कार का दोषी पाया गया था।

PETA इंडिया लंबे समय से देश के मुख्य पशु संरक्षण कानून “प्रीवेनशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स एक्ट 1960” को मजबूत बनाने की सिफ़ारिश कर रहा है जिसमे पुराने समय के दंड का प्रावधान है जैसे जानवरों के खिलाफ अपराध में पहली बार दोषी करार दिये जाने पर अधिकतम 50 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

आप मदद कर सकते हैं : जानवरों के प्रति अपराधियों हेतु कठोर दंड की मांग करके

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