PETA इंडिया की शिकायत पर लखनऊ पुलिस ने बाज़ार में छापा मारकर तोतों को बचाया, अभियुक्त गिरफ़्तार

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13 December 2021

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लखनऊ- पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए लखनऊ पुलिस और वन विभाग ने रविवार को नखखास पक्षी बाज़ार में अवैध कारोबारियों से 11 तोते बरामद किए। PETA इंडिया के प्रतिनिधियों ने पाया की तोते बहुत ही छोटे प्लास्टिक के बैग में बंद थे, जिसमे उनका दम घुट रहा था और वो एक एक सांस के लिए संघर्ष कर रहे थे। पुलिस ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972 की धारा 2,9,39,49,50 व 51 व पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11(1) (E) व 11(2) के तहत प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज की है। तोता वन्यजीव (संरक्षण) की अनुसूची IV के तहत संरक्षित प्रजाति है और उन्हें पालतू जानवर के रूप में पकड़ना, कैद करना, व्यापार करना एक दंडनीय अपराध है।

अभी यह सभी तोते वन विभाग के नियंत्रण में हैं जिन्हें पशु चिकित्सक द्वारा जांच करने वा अदालत से अनुमति मिलने पर उन्हें वापिस उनके प्रकृतिक निवास यानि खुले आसमान में छोड़ दिया जाएगा।

तोतों के रेसक्यू के वीडियो यहाँ से डाऊनलोड किए जा सकते हैं। PETA इंडिया द्वारा लखनऊ के एडिशन डेप्युटी कमिश्नर श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा के साथ, लोगों को पक्षी कैद न करने के संबंध में प्रोत्साहित करने हेतु बनाया गया वीडियो यहाँ उपलब्ध हैं।

अपनी वीडियो में श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा ने कहा, “ मैं अपने व PETA इंडिया के अपने दोस्तों की तरफ़ से, आपसे यह अपील करता हूँ कि कृपया पक्षियों की खरीदफरोख्त न करें, और ना ही उन्हें पिंजरों में कैद करें। ऐसा करना क्रूर व गैरकानूनी है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत किसी भी पशु को ऐसे पिंजरे में कैद करना जिसमें वह अपनी प्राकृतिक शारीरिक गतिविधि न कर सके ― जिसमें पक्षियों के लिए उड़ना शामिल है ― एक दण्डनीय अपराध है। उड़ना पक्षियों का मौलिक अधिकार है, और उनका उचित स्थान खुले आसमान में अपने परिवार के साथ है। उन्हें जीवनभर के लॉकडाउन में रखना पूरी तरह से गलत है। इसलिए कृपया याद रखें ― ना ही पक्षियों की खरीदफरोख्त करें, और ना ही उन्हें पिंजरों में कैद करें।“

PETA इंडिया की सीनियर एडवोकेसी ऑफिसर हारशील माहेश्वरी कहती हैं:- “पक्षियों का जन्म खुले आसमान में उड़ने के लिए हुआ है न कि पिंजरों में कैद होने के लिए। PETA इंडिया लखनऊ के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा और उनकी टीम की सराहना करता है कि उन्होने इन पक्षियों को पिंजरों की कैद और अकेलेपन की जिंदगी से निजात दिलाई है व अपनी कार्यवाही से लोगों को यह संदेश भी दिया कि जानवरों के साथ अवैध व्यवहार करने वालों को बक्षा नहीं जाएगा।“

प्रकृति में, पक्षी सामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं जैसे कि रेत से स्नान करना, लुका-छिपी खेलना, नृत्य करना, अपने साथियों के साथ घोंसला बनाना और अपने बच्चों का पालन-पोषण करना। लेकिन जब उन्हें पिंजरे में रखा जाता है, तो वही जीवंत जानवर उदास रहने लगते हैं निराश हो जाते हैं। वह इसी हताशा के चलते अक्सर खुद अपनी ही चोट से चोटिल कर लेते हैं। कुछ लोग जबरन इन पक्षियों के पर कुतर देते हैं वे उड़ न सकें, फिर भी उड़ना उनके लिए उतना ही स्वाभाविक और महत्वपूर्ण है जितना कि इन्सानों के लिए चलना जरूरी है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारे मनोरंजन के लिए इस्तेमाल होने के लिए नहीं हैं” – बताता है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, विभिन्न स्वदेशी प्रजाति के पक्षियों को कैद करने, पिंजरे में रखने और उनके व्यापार पर प्रतिबंध लगाता है और इसका पालन न करने पर तीन साल तक की कैद, 25,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। इसके अलावा, पक्षियों को पिंजरों में बंद रखना पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का उल्लंघन हैं, जो यह कहता है कि किसी भी जीव जन्तु को किसी ऐसे पिंजरे में रखना अवैध है जो उसके शरीर की ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई में पर्याप्त नहीं है व जिसमे वह जानवर सही से अपना हाथ पैर नहीं फैला सकता। पक्षी के लिए शरीर की उचित आवाजाही का मतलब खुले आसमान में उड़ना है।

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