“भीख मँगवाने के नाम पर बर्बर क्रूरता की शिकार हथिनी को बचाने के लिए PETA इंडिया की मुहीम ज़ोरों पर”

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8 December 2021

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भोपाल- पिछले हफ्ते मध्य प्रदेश के छतरपुर इलाके में सड़कों पर ‘लक्ष्मी’ नामक एक कमजोर हथिनी को भीख मांगने के लिए मजबूर करने की खबर मिलने के बाद, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने स्थानीय समर्थक और स्वयं सेवकों के सहयोग से उस हथिनी का बचाव अभियान शुरू किया क्यूंकि उसे तत्काल पशु चिकित्सीय देखभाल और भोजन पानी की आवश्यकता थी। PETA समूह ने इंगित किया है कि शारीरिक रूप से बेहद कमजोर लक्ष्मी, जिसके शरीर की हड्डियाँ साफ दिखाई देती हैं, अस्वस्थ है व उसे भीख मांगने के लिए जबरन गर्म पक्की सड़क पर चलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस तरह के कृत्य ‘वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 972, पशु क्रूरता निवारण अधीनियम, 1960 तथा केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन हैं।

लक्ष्मी के फोटो एवं वीडियो यहाँ देखे जा सकते हैं।

दिनांक 1 दिसंबर को PETA इंडिया और स्थानीय स्वयं सेवकों की शिकायत पर, लक्ष्मी को बड़ा मल्हारा स्थित स्थानीय वन विभाग के कार्यालय में ले जया गया था। जांच में PETA समूह के पशु चिकित्साकों ने निष्कर्ष निकाला कि वह पुराने दर्द से पीड़ित है (धनुषाकार पीठ व आराम करने की मुद्रा में उसका अपने शरीर का वजन एक पैर से दूसरे पैर पर स्थानांतरित करना) व उसे गंभीर लंगड़ापन, पैरों की विकृति, (अपक्षयी संयुक्त रोगों के कारण होने की संभावना) और दोनों कूल्हों पर फोड़े भी हैं।

PETA इंडिया की चीफ़ एडवोकेसी ऑफिसर खुशबू गुप्ता कहती हैं- “हाथी जैसे जंगली जानवरों को कैद में रखने वाले लोग आमतौर पर उनकी जरूरतों से अंजान होते हैं और यहाँ तक कि जो लोग उनकी जरूरतों के बारे में जानते हैं, वो भी उन्हें पूरा नही करते क्योंकि कैद और अप्राकृतिक माहौल उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो सकती। इन हाथियों को लगातार जंजीरों में कैद करके रखने, डराने धमकाने और मारपीट के द्वारा उन्हें नियंत्रित करने से उनकी स्थिति बद से बदतर हो जाती है। PETA इंडिया मध्य प्रदेश के वन विभाग से लक्ष्मी को बचाने और उसे किसी ऐसी सेंक्चुरी में पुनर्वास हेतु भेजने का आह्वान करता है जहां वह अन्य हाथियों की संगत में बिना जंजीरों में बंधे आज़ाद होकर रह सके और उसे अच्छी देखभाल मिल सके।

लक्ष्मी के साथ होने वाला दुर्व्यवहार, भारत में भीख मांगने, हाथी सवारी और प्रदर्शनों के लिए इस्तेमाल होने वाले हाथियों की दुर्दशा को उजागर करता है। इस तरह के कामों में इस्तेमाल होने वाले हाथियों को अक्सर उनके कानों व घुटनों के पीछे संवेदनशील हिस्से पर अंकुश चुभोकर व मारपीट करके नियंत्रित किया जाता है तथा पर्याप्त मात्रा में भोजन पानी एवं चिकत्सीय देखभाल से वंचित रखा जाता है। लगातार पैरों में जंजीरों की रगड़न से गंभीर घाव बन जाते हैं। अधिकांश बंदी हाथियों में गंभीर मनोवैज्ञानिक दशा देखने को मिलती है जैसे सिर को गोल गोल या फिर दाएं बाएं घुमाते रहना जो कि प्रकर्तिक वातावारण में रहने वाले स्वस्थ हाथियों में देखने को नहीं मिलती। निराशा से भरपूर ऐसे हाथी अक्सर अपने महावतों या फिर आसपास आने वाले लोगों को मार भी देते हैं।

जैसा कि भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड व राज्य वन विभाग की बहुत सी निरीक्षण रिपोर्टों से पता चलता है, देश में अधिकांश हाथियों को अवैध रूप से कैद में रखा जा है क्यूंकि वन विभाग से आवश्यक अनुमति लिए बिना उनकी हिरासत किसी अन्य को स्थानांतरित कर दी जाती है व बिना किसी अनुमोदन के उन्हें एक से दूसरे राज्य में भेज दिया जाता है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर किसी भी तरह से हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नहीं है” प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधार है जिसमें इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट  PETAIndia.com पर जाएँ और हमें TwitterFacebook व Instagram पर फॉलो करें।

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