उत्तराखंड पशुपालन विभाग द्वारा मुर्गीपालन केन्द्रों को आदेश जारी:  अनचाहे चूजों को हैंडल करने हेतु केवल आधुनिक एवं कानूनी मान्यता प्राप्त तकनीकों को ही अपनाया जाए

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28 July 2020

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PETA इंडिया की शिकायत के बाद, राज्य पशुपालन विभाग ने आदेश जारी किया

देहारादून – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया से “मुर्गी पालन केन्द्रों में अंडा न देने वाले नर चूज़ों की बेरहम हत्याओं के बारे में” लिखे गए पत्र पर कार्यवाही करते हुए उत्तराखंड पशुपालन विभाग ने तत्काल इन गैरकानूनी हत्याओं को रोकने के लिए समस्त मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारियों तथा ज़िला पशु क्रूरता निवारण सोसाइटी के अधिकारियों को एक आदेश जारी कर चूज़ों की क्रूर हत्याओं को रोकने के लिए मुर्गी पालन केन्द्रों को निर्देश देने का आह्वान किया है। आदेश में उन्होने कहा है कि वह सभी “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” के नियमों का पालन करें व अनचाहे चूजों को हैंडल करने के लिए ‘भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI)’, ‘लॉ कमीशन ऑफ इंडिया (LCI)’ तथा ‘विश्व पशु स्वास्थ संगठन’ द्वारा मान्य की गयी तकनीकों जैसे इनर्ट गैस या नीटरोजन गैस का इस्तेमाल करें। नर चूजे आगे चलकर अंडे नहीं दे सकते इसलिए मांस एवं अंडा उद्योग में आमतौर पर उन्हें बेकार समझा जाता है नर चूज़ों तथा अन्य कमजोर चूज़ों  को, पीसकर, कुचलकर, जलाकर, डुबाकर मारा जाता है या कभी उन्हें मछलियों का भोजन बना दिया जाता है ।

पशु पालन विभाग द्वारा भेजे गए आदेश की कॉपी यहाँ देखी जा सकती है।

PETA इंडिया ने राज्य सरकार को लिखे अपने पत्र में बताया है कि अवांछित चूज़ों को मारने के सामान्य क्रूर तरीके जाहिर तौर पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11 (1) (L) का उलंघन करते हैं। PETA समूह ने अनुरोध किया है कि राज्य के मुर्गी पालन केन्द्रों को चूजों की गैरकानूनी तरीकों से हत्याओं की बजाय  OVO लिंग जांच तकनीक जब भी उपलब्ध हो तब उस तकनीक का उपयोग करें। यह नई तकनीक है, जो विदेशों में विकसित की गई और जल्द ही व्यावसायिक रूप से यहाँ भी उपलब्ध होगी, इस तकनीक के माध्यम से शुरुआती चरण में ही नर भ्रूण की जाँच के जा सकेगी व जन्मे हुए चूज़ों  की क्रूर मौत न हो इस हेतु निर्णय लिया जा सकेगा।

नर चूजों को क्रूर तरीकों से मौत के घाट उतारने की तस्वीरें एवं वीडियो यहाँ से डाउनलोड किए जा सकते हैं।

PETA इंडिया की सीनियर एडवोकेसी ऑफिसर हर्षिल माहेश्वरी कहती हैं “अनगिनत नर चूज़ों की भीषण हत्या इसलिए होती है क्योंकि वे अंडे नहीं दे सकते और अंडा व्यवसायिकों को इनसे कोई मुनाफ़ा नहीं मिलता। यह क्रूर प्रथा रुकनी चाहिए। हम उत्तराखंड सरकार के आभारी हैं की उन्होने मुर्गीपालन उद्योग द्वारा अवांछित चूज़ों की अवैध हत्याओं और क्रूरता पर रोक लगाने हेतु उन्हें भारतीय लॉं कमीशन OIE द्वारा मान्य तकनीकों को इस्तेमाल करने के आदेश जारी किए। हम जनता से भी अनुरोध करते हैं की अगर इन नन्हें चूजों की परवाह करते हैं तो कृपया वीगन जीवनशैली चुनिये”।

इससे पूर्व PETA इंडिया के अनुरोध पर आसाम, बिहार एवं छत्तीसगढ़ ने अपने राज्यों के मुर्गीपालन केन्द्रों को को OVO लिंग जांच, जैसे ही व्यवसायिक रूप से उपलब्ध हो इसे अपनाए जाने के आदेश जारी कर चूजों की क्रूर हत्याओं के संबंध में बेहतरीन कदम उठाया है। उत्तराखंड की ही तरह आंध्र प्रदेश, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश, एवं के पशुपालन विभागों ने अपने राज्यों में अनचाहे नर चूज़ों  की क्रूर एवं गैरकानूनी हत्याओं को रोकने हेतु अपने अधीनस्त विभागों को आदेश जारी कर इस पर तत्काल रोक लगाने एवं इस हेतु भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा मान्य तकनीकों को अपनाने हेतु निर्देशित किया है।

जर्मनी ने लिंग निर्धारण तकनीक हेतु  € 5 मिलियन (400 मिलियन रुपये) का निवेश किया है जबकि फ्रांस और स्विटजरलैंड ने भी जीवित नर चूज़ों  की क्रूर हत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाए हैं, जो आमतौर पर उन देशों में प्रचलित है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की वर्चस्ववादी सोच को दर्शाता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएं।