सोनाक्षी सिन्हा ने सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाली सामग्री – “चमड़े” पर PETA इंडिया के नए अभियान की शुरुवात की

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27 April 2022

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मुंबई –  अपनी फिल्म Kakuda और Double XL आने से पहले प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा ने PETA इंडिया के नए अभियान के ज़रिये सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाली सामग्री – “चमड़े” के खिलाफ़ आवाज़ उठाई एवं अपने प्रशंसकों से चमड़े का त्याग कर वीगन सामग्री अपनाने के अनुरोध किया। इस विशेष अभियान की फोटोज़ में सोनाक्षी “खून से सने” बैग के साथ नज़र आई और उन्होंने हर वर्ष चमड़े के लिए मौत के घाट उतारे जाने वाली 1.4 बिलियन से अधिक गायों, कुत्तों, बिल्लियों, भेड़-बकरियों और लाखों अन्य जानवरों की पीड़ा के संबंध में लोगों को जागरूक किया।

 इस अभियान से जुड़ी सामग्री मांगे जाने पर उपलब्ध कारवाई जाएगी। 

इस विज्ञापन का शूट मशहूर फोटोग्राफर रोहन श्रेष्ठ द्वारा किया गया और सोनाक्षी सिन्हा की आउटफिट को मोहित राय एवं उनके बालों को माधुरी नखले ने स्टाइल किया। अभिनेत्री का मेकअप हीमा दत्तानी द्वारा किया गया।

सोनाक्षी सिन्हा ने कहा- “गाय और बैल बहुत समझदार एवं संवेदनशील जानवर होते हैं जो अपने परिवार से बिछुड़ कर दुखी हो जाते हैं इसलिए मैं वीगन चमड़े एवं अन्य दयालु विकल्पों का चुनाव करती हूँ। इस अभियान के ज़रिये मैं PETA इंडिया के साथ मिलकर लोगों को यह संदेश देना चाहती हूँ कि वीगन विकल्प अपनाकर फैशन को सभी के लिए मजेदार बनाएँ क्रूर नहीं“

भारत में चमड़े हेतु प्रयोग किए जाने वाले जानवरों को परिवहन हेतु गाड़ियों में इस तरह से ठूस ठूसकर भरा जाता है कि रास्ते में ही उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं या दम घुटने से उनकी मौत हो जाती है। बूचड़खानों में जानवरों को बिना बेहोश किए कसाइयों द्वारा खुले में अन्य साथी जानवरों के सामने ही इनका गला काट दिया जाता है  जबकि यहाँ का फ़र्श मारे जाने वाले जानवरों के खून, मल-मूत्र और कटे हुए शारीरिक अंगों के भरा रहता है।

चमड़े का प्रयोग पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। साल 2017 में प्रकाशित “Pulse of the Fashion Industry” रिपोर्ट के अनुसार, फैशन में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों में साँड़ का चमड़ा सबसे ज़्यादा प्रदूषण फैलाने वाला पदार्थ है। चमड़े के लिए इस्तेमाल होने वाली गायों, भैंसों और अन्य जानवरों की खाल को सड़ने से बचाने के लिए, चमड़े के कारखाने में विभिन्न प्रकार के खतरनाक और जहरीले रसायनों का उपयोग किया जाता है जिसके कारण स्थानीय जलमार्ग व्यापक स्तर पर प्रदूषित होते है। चमड़े का उत्पादन उन लोगों के लिए भी हानिकारक है जो चमड़ा केन्द्रों के पास रहते हैं और काम करते हैं। बांग्लादेश के हजारीबाग इलाके में चमड़े की टेनरी के 90% कर्मियों की 50 साल की उम्र से पहले मौत हो जाती है।

पशु कल्याण, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, वीगन फैशन ही भविष्य है। पिछले साल “विश्व फ़ैशन डे” (21 अगस्त) के उपलक्ष्य में, PETA इंडिया और लैक्मे फैशन वीक के अनुरोध पर 33 प्रमुख डिजाइनरों ने चमड़े का त्याग किया था जिसमें गौरव गुप्ता, मसाबा गुप्ता, मोनिका और करिश्मा, अनीत अरोड़ा, राणा गिल, श्यामल और भूमिका, सोनाक्षी राज, सिद्धार्थ टाइटलर, रीना ढाका, विक्रम फडनीस, रॉकी स्टार, अत्सु सेखोज, देव आर निल, और अक्षत बंसल जैसे बड़े नाम शामिल हैं। वही अनीता डोंगरे और पूर्वी दोशी काफ़ी समय पहले से चमड़ा मुक्त हैं।

वर्तमान में, सिंथेटिक और अन्य प्रकार के वीगन चमड़े व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, जिनमें अनानास के पत्तों, फलों के कचरे, पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक, मशरूम, शहतूत के पत्तों, सागौन के पत्तों, मंदिर से निकालने वाले फूलों, नारियल के कचरे, टमाटर और बहुत से अन्य विकल्प शामिल हैं। पेड़-पौधों से निर्मित चमड़ा भारतीय किसानों के लिए भी एक लाभदायक विकल्प है इसलिए मेघालय राज्य सरकार द्वारा अनानास के चमड़े के उत्पादन को प्रोत्साहित करके एक बेहतरीन संदेश दिया गया है।

इसे पहले सोनाक्षी सिन्हा द्वारा पशु संरक्षण कानूनों के हक़ में अन्य सितारों के साथ आवाज़ उठाई गयी, लोगों को जानवरों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया और समूह की ओर से जयपुर के पास एक शोषित हाथी के स्थानांतरण के समर्थन में पत्र भी लिखा गया।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारे वस्त्र बनने के लिए नहीं हैं” प्रजातिवाद का विरोध करता है क्योंकि यह ऐसी विचारधार है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। आप हमारी “PETA स्वीकृत वीगन” सूची की मदद से पशु-हितैसी विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com  पर जाएँ और TwitterFacebook, Instagram पर हमें फॉलो करें।