दयालु उपभोक्ता

यदि आप अभी भी जानवरों पर परीक्षण किए गए उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं तो अब बदलाव का समय है- पामेला एंडरसन

शेम्पू, सर्फ, ओवन क्लीनर, फर्श पोलिश, पेंट, कीटनाशक तथा खरपतवार कुछ ऐसे उत्पाद है जो सुरक्षा के लिहाज से इस्तेमाल से पहले जानवरों पर परीक्षण करके पास किए जाते हैं। लेकिन जैसे यूरोपियन सेंटर फॉर वेलीडेशन ऑफ अलटरनेटिव मेथड के डॉ मिशेल बॉल इंगित करते हैं कि जानवरों पर परीक्षण के बाद इस्तेमाल के लायक कहे जाने वाले पदार्थ वेज्ञानिक आधार पर कमजोर होते हैं। वास्तव में पशु परीक्षण अविश्वसनीय होते हैं किन्तु कुछ कंपनियों के लिए यह आकर्षण है क्यूंकि यह परीक्षण, निर्माताओं को किसी भी उत्पाद को बाज़ार में बेचने की अनुमति प्रदान करते हैं।

सामान्यता पशु परीक्षणों में- आंखो में जलन, त्वचा का जलना, त्वचा की संवेदनशीलता तथा जानलेवा खुराक की मात्रा से संबन्धित परीक्षण किए जाते है। आंखो में जलन वाले परीक्षण हेतु अलबिनों खरगोश की आंखो में रसायन डाल दिया जाता है। इन परीक्षणों के दौरान जानवर को स्थिर रखा जाता है, उसके सर को जकड़ दिया जाता है व उनकी आंखो की पलकों को क्लिप के द्वारा खुला रखा जाता है। परीक्षण के लिए अक्सर उन्हे किसी तरह की बेहोशी की दवा नहीं दी जाती, बहुत से खरगोश दर्द से बचने की कोशिश में अपनी पीठ की हड्डी तक तोड़ लेते हैं।

खरगोश की आँख में रसायन डालने के बाद, प्रयोगशाला का जांचकर्ता इस बात को रिकार्ड करता है कि खरगोश कीआँख में किस प्रकार का नुक्सान हो रहा है, जैसे क्या उसमे जलन हो रही है या सूजन, घाव, खून आना, भारी स्राव या फिर अंधापन। आँख की जलन से संबन्धित यह परीक्षण संदिग्ध हैं क्यूंकि इनमे अलग अलग प्रयोगशालाओं में अलग अलग तथा अलग अलग खरगोशों पर भिन्न भिन्न नतीजे आते हैं।

जहर की तीव्रता, जानलेवा खुराक की मात्रा, सर्फ की ज्यादा मात्रा, आँखों की छाया से संबन्धित उत्पादों के परीक्षण हेतु इन्हे जबरन चूहों, छुछुंदरों, खरगोशों, जिनुया पिग व अन्य जीवों पर तब तक जांचा जाता हैं जब तक ये ना पता चल जाए की इसकी कितनी मात्र से उसकी मौत हो रही है। जानलेवा खुराक 50 (लेथल डोस 50) की जांच तब तक चलती है जब तक की जानवर आधा न मर जाए और इस जांच में 2 से 4 हफ्ते का समय लगता है।

प्रयोगकर्ता यह देखते हैं कि इस जांच का जानवर पर क्या असर हो रहा है जिसमे आँख, नाक या मुह से खून बहने से लेकर सांस लेने में समस्या, दस्त, उत्सर्जन व त्वचा की जलन तक रिकार्ड किया जाता है। आँख की जलन की तरह लेथल डोज़ परीक्षण भी अविश्वासनीय होता है।

1996 में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा पशुओं पर परीक्षणों को वैकल्पिक बना दिया था। दुनिया भर में 1000 से अधिक कंपनियाँ है जो अपने उत्पादों का जानवरों  पर परीक्षण नहीं करती हैं। हाल ही में यूरोपियन संसद में जानवरों पर परीक्षण वाले उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने हेतु वोट किया गया। यूरोपियन संसद के एक जर्मन सदस्य डाग्मर रॉथ बहरेंद जिसने यह कानून लिखा है ने कहा “ऐसे उत्पादों की बिक्री नहीं की जानी चाहिए, बल्कि इनकी जगह पर कुछ वैकल्पिक तरीकों का इस्तेमाल होना चाहिए। संभवतः ऐसे उत्पाद जो जानवरों पर परीक्षण के उपरांत बेचे जाते हैं की बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध लगना चाहिए।“ पशु परीक्षण उपरांत विदेशों से आयात होने वाले उत्पादों पर भी प्रतिबंध लागू होना चाहिए।”

उपभोक्ता जानवरों पर परीक्षण वाले उत्पादों की खरीद न करके पशुओं की मदद कर सकते हैं। यहाँ क्लिक करके PETA US में पशुओं पर उत्पादों का परीक्षण करने वाली तथा ना करने वाली कंपनियों की सूची देखें। कृपया ध्यान रखें की यह सूची व्यापक नहीं है। यदि कोई संदेह हो तो कृपया PETA इंडिया अथवा कंपनी से संपर्क करें। यदि कंपनी से कोई जवाब नहीं आता तो यह एक संकेत माना जा सकता है की परीक्षण के तमाम विकल्प होने के बावजूद कंपनी अभी भी पशुओं पर परीक्षण करती है। यदि आपने किसी ऐसी कंपनी से कोई उत्पाद खरीदा है जो पशुओं पर परीक्षण करती है कृपया उस कंपनी को एक पत्र लिखकर अपने पैसे वापिस मांगते हुए उनका उत्पाद वापिस लौटा दें व पत्र में अवश्य लिखें की आप उस कंपनी का कोई भी उत्पाद तब तक नहीं खरीदोगे जब तक की वो पशुओं पर अत्याचार करना बंद न कर दे।