वायरल हुआ कोलकाता का बेहोश घोड़ा अब तक ज़ब्त नहीं, PETA इंडिया ने उठाया बिलबोर्ड अभियान के ज़रिए मुद्दा

Posted on by Shreya Manocha

कोलकाता की ऐतिहासिक सड़कों पर आज भी घोड़े थकावट, कमजोरी और दर्द के बीच पर्यटकों से भरी बग्घाएं खींचने को मजबूर हैं। इन्हीं पीड़ाओं को उजागर करने के लिए PETA इंडिया ने विक्टोरिया मेमोरियल के सामने एक प्रभावशाली बिलबोर्ड लगाया है, जिसमें एक हाल ही में वायरल हुए वीडियो की तस्वीर प्रदर्शित की गई है। इस तस्वीर में एक दुर्बल और पानी की कमी से बेहाल घोड़ा बग्घे में जुता हुआ ज़मीन पर गिरा पड़ा है, जबकि उसका संचालक उसे बेरहमी से थप्पड़ मारते और उस पर चिल्लाते हुए दिखाई देता है। यह बिलबोर्ड राहगीरों को घोड़ा-बग्घा उद्योग में छिपी क्रूरता की एक कठोर सच्चाई से रूबरू कराने के उद्देश्य से लगाया गया है। PETA इंडिया को उम्मीद है कि यह पहल न केवल उस अचेत घोड़े को जब्त कर राहत दिलाने में मदद करेगी, बल्कि प्रशासन को मुंबई की तर्ज पर कोलकाता में भी घोड़ा-मुक्त, विरासत-शैली की इलेक्ट्रिक बग्घाओं को अपनाने की दिशा में प्रेरित करेगी।”

PETA इंडिया का यह नया बिलबोर्ड कोलकाता के भवानीपुर में SSKM हॉस्पिटल रोड पर विक्टोरिया मेमोरियल के ठीक सामने, पिनकोड 700020 पर लगाया गया है।

हाल के महीनों में, घोड़ों के साथ हुई दो गंभीर क्रूरता की घटनाओं के बाद PETA इंडिया ने दो FIR दर्ज करवाई हैं — एक भवानीपुर पुलिस स्टेशन में और दूसरी मैदान पुलिस स्टेशन में। पहली घटना उस घोड़े से जुड़ी है जो वायरल वीडियो में दिखाई देता है और अब बिलबोर्ड पर भी प्रदर्शित है। दूसरी घटना में एक घोड़ी को बेसहारा और ज़मीन पर गिरी हुई अवस्था में मृत पाया गया। पशु-चिकित्सकों ने उसकी मृत्यु का कारण रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट को बताया, जो संभवतः किसी कुंद वस्तु से पीठ पर वार किए जाने के कारण हुई थी। इनमें से पहली घटना में जो घोड़ा सड़क पर गिर पड़ा था, उसे अब तक ज़ब्त नहीं किया गया है — जबकि यह स्पष्ट रूप से गंभीर पशु क्रूरता का मामला है।

PETA इंडिया और CAPE फाउंडेशन द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, केवल वर्ष 2024 में ही कोलकाता में कम से कम आठ घोड़ों की मृत्यु इसी तरह की उपेक्षा और शोषण के कारण हुई है। जांच से यह भी पता चला है कि शहर में पर्यटक बग्घा खींचने वाले कई घोड़े एनीमिक (रक्ताल्पता से ग्रस्त), कुपोषित, अत्यधिक थकान से पीड़ित होते हैं और कठोर सड़कों पर लगातार चलने के कारण उन्हें गंभीर व दर्दनाक शारीरिक समस्याएं हो जाती हैं।

कोलकाता हाईकोर्ट ने मैदान और शहर के अन्य हिस्सों में खराब स्वास्थ्य के चलते घोड़ों के गिरने की घटनाओं को अत्यंत गंभीरता से लिया है। अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि शहर में बड़ी संख्या में बिना लाइसेंस की घोड़ा-गाड़ियाँ संचालित हो रही हैं और बीमार अथवा अयोग्य घोड़ों को उनके मालिकों द्वारा त्याग दिए जाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह घोड़ा मालिकों के पुनर्वास तथा पर्यटकों को ढोने के कार्य के स्थान पर उन्हें वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने हेतु एक समुचित प्रस्ताव तैयार करे, ताकि ‘मुंबई की तर्ज पर घोड़ा-गाड़ियों की व्यवस्था को समाप्त करने की व्यवहार्यता’ पर गंभीरता से विचार किया जा सके।

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