कोलकाता: रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट के कारण बेघर घोड़ी की मौत, वायरल वीडियो के कुछ ही दिनों बाद दर्ज हुई FIR

Posted on by Surjeet Singh

मई के पहले सप्ताह में कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में बेहद दुर्दशा की हालत में मिली एक बेघर और ज़मीन पर गिरी हुई घोड़ी की मौत के बाद मैदान पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। कुपोषण और निर्जलीकरण से पीड़ित यह दुर्बल घोड़ी अपने पिछले पैरों से उठ भी नहीं पा रही थी। पशु चिकित्सक ने उसकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट की पुष्टि की, जो संभवतः किसी कुंद वस्तु से पीठ पर मारे जाने से हुई थी। तमाम आपातकालीन इलाज के बावजूद घोड़ी को बचाया नहीं जा सका। यह घटना उस वीडियो के सामने आने के कुछ ही दिनों बाद हुई, जिसमें एक बग्गी में जुते दो घोड़ों में से एक को सड़क पर गिरा हुआ दिखाया गया था। इस वीडियो के बाद भवानीपुर पुलिस स्टेशन में भी एक FIR दर्ज हुई थी।

यह FIR भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 125, 291 और 325 के तहत दर्ज की गई है, जिनमें लापरवाही से पशु के साथ ऐसा व्यवहार करना जिससे मानव जीवन को खतरा हो, सार्वजनिक स्थल पर पशु के कारण खतरा उत्पन्न होना, और जानबूझकर पशु को इस हद तक हानि पहुँचाना शामिल है कि उसकी मृत्यु हो जाए या वह अनुपयोगी हो जाए। इसके अतिरिक्त, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की कई धाराएं भी लगाई गई हैं—जैसे धारा 3 (पशु की देखभाल की जिम्मेदारी निभाने में विफलता), धारा 11(1)(a), (f), और (h) (पशु से अत्यधिक श्रम करवाना, अनावश्यक पीड़ा देना, अनुचित रूप से बाँधना, और पर्याप्त भोजन, पानी व आश्रय न देना)। साथ ही BNS की धारा 3(5) भी लागू की गई है, जिसमें सामूहिक इरादे से किए गए अपराधों को शामिल किया गया है।

यह युवा घोड़ी पीड़ा में इसलिए मरी क्योंकि उसे प्रताड़ित किया गया और सबसे अधिक जरूरत के समय बेघर छोड़ दिया गया

हाल ही में एक और विचलित कर देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसमें एक बुरी तरह कमजोर और शायद हीट स्ट्रोक व निर्जलीकरण से पीड़ित घोड़ा ज़मीन पर गिरा पड़ा था, और उसका संचालक उस पर चिल्लाकर उसे दोबारा बग्गी खींचने के लिए मजबूर कर रहा था।

 

कोलकाता की सड़कों पर पर्यटक सवारी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे घोड़े लगातार गिर रहे हैं, गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं और मर रहे हैं। अब समय आ गया है कि इस अमानवीय प्रथा को समाप्त किया जाए और इसकी जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाया जाए।

PETA इंडिया और CAPE फाउंडेशन द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में ही कोलकाता में कम से कम आठ घोड़ों की मौत ऐसी ही उपेक्षा और दुर्व्यवहार के चलते हो चुकी है। जांचों में यह भी सामने आया है कि कोलकाता में उपयोग किए जा रहे कई घोड़े एनीमिक, कुपोषित, अत्यधिक श्रम से पीड़ित हैं और लगातार कठोर सड़कों पर चलाए जाने के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।

कलकत्ता उच्च न्यायालय पहले ही कोलकाता में सवारी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे घोड़ों के साथ हो रही व्यवस्था-जनित क्रूरता को स्वीकार कर चुका है—जिसमें बीमार या घायल होने पर उन्हें बेघर छोड़ दिया जाता है, और अवैध बग्गियों का व्यापक उपयोग होता है। न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह घोड़ा मालिकों के पुनर्वास और उन्हें वैकल्पिक आजीविका प्रदान करने की योजना बनाए, ताकि “मुंबई की तरह घोड़ा-चालित सवारी को समाप्त करने की संभावना पर विचार किया जा सके।”

 

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