PETA इंडिया के अभियान के बाद BookMyShow ने अपने प्लैटफ़ार्म पर से जानवरों का इस्तेमाल करने वाले सर्कसों की बिक्री बंद की।

Posted on by Sudhakarrao Karnal

PETA इंडिया के साथ हाल ही में एक बैठक के बाद, भारत के सबसे बड़े टिकटिंग पोर्टल BookMyShow ने अपने प्लेटफॉर्म से जानवरों का उपयोग करने वाले सर्कस को हटा दिया है। इसके परिणामस्वरूप, PETA इंडिया द्वारा BookMyShow के कॉरपोरेट ऑफिस के बाहर पशु सर्कसों का समर्थन न करने का आग्रह करने वाले बिलबोर्ड को बॉक्सर विजेंदर सिंह के बिलबोर्ड से बदल दिया गया है जिसपर लिखा है, “क्रूरता का समर्थन न करें: सर्कसों का त्याग करें”। कंपनी द्वारा PETA इंडिया को मौखिक रूप से आश्वासन दिया गया है कि वह पशु सर्कस के संबंध में एक आधिकारिक नीति निर्धारित करेंगे।

इस ई-टिकटिंग प्लेटफॉर्म द्वारा रैम्बो सर्कस के टिकट भी बेचे गए हैं जिसके मालिक को हाल ही में पशु संरक्षण कानूनों के विभिन्न उल्लंघनों के खिलाफ़ गिरफ्तार किया गया था और फिर जमानत पर रिहा कर दिया गया था। इस सूची में ग्रेट जेमिनी सर्कस, अजंता सर्कस, और अन्य सर्कसों जैसे नाम भी शामिल हैं। भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने हाल ही में अजंता सर्कस के खिलाफ आवश्यक प्रमाणीकरण के बिना जानवरों का उपयोग करने के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग की है।

सर्कस जानवरों के प्रति क्रूरता और पशु संरक्षण कानूनों की अवहेलना के लिए इतने कुख्यात हैं कि वर्ष 2017, 2019 और 2020 में, AWBI ने केंद्र सरकार को सर्कस में जानवरों के उपयोग को रोकने के लिए कानून पारित करने की सलाह दी। पिछले साल, सेंट्रल जू अथॉरिटी ने हाथी का उपयोग करने वाले एकमात्र सर्कस “ग्रेट गोल्डन सर्कस” की मान्यता रद्द कर दी थी।

देश के मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री को विभिन्न राज्यों के 100 पशु चिकित्सकों ने अपीक भेजी थी तथा देश भर के सरकारी एवं प्राईवेट स्कूलों के 1,00,000 बच्चों द्वारा हस्ताक्षरित एक याचिका भी सौंपी गयी है जिसमे सर्कस में जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के विभिन्न कारण और इस संबंध में कानून स्थापित करने का अनुरोध किया गया है।

सर्कसों में मनोरंजन हेतु जानवरों का प्रयोग बहुत ही क्रूर प्रथा है जिसके कारण जानवरों को तंग पिंजरों में जंजीरों से कैद रखा जाता है और उन्हें हर प्रकार की पशुचिकित्सकीय सेवाओं से वंचित रखते हुए भूखा-प्यासा रहने के लिए मज़बूर किया जाता है। उनके प्राकृतिक उत्थान को पूर्ण रूप से बाधित किया जाता है और उनसे जबरन मुश्किल, असहज और कष्टदायी करतब कराए जाते हैं। ऐसी तनावपूर्ण परिस्थितियों में रहने के कारण कई जानवरों में ख़तरनाक मानसिक बीमारियों के लक्षण देखने को मिलते हैं।

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