PETA इंडिया की शिकायत के बाद तमिलनाडु सरकार द्वारा दो तोतों की जान बचाई गई

Posted on by Shreya Manocha

PETA इंडिया की एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, तमिलनाडु वन विभाग ने चेन्नई और तिरुनेलवेली में आरोपियों द्वारा अवैध रूप से रखे गए पांच तोतों को बचाया। प्रिलिमिनरी ओफ्फेंस रिपोर्ट (POR) के पंजीकरण के बाद इन तोतों को जब्त कर लिया गया और दोनों अपराधियों पर जुर्माना लगाया गया।

PETA इंडिया ने चेन्नई के वन्यजीव वार्डन और तिरुनेलवेली के प्रभागीय वन अधिकारी को क्रमशः एक व्यक्ति और एक होम स्टे द्वारा चेन्नई में दो तोतों और तिरुनेलवेली में तीन तोतों के अवैध कब्जे के संबंध में औपचारिक शिकायतें भेजी थीं। तोता रखने के आरोपी के खिलाफ वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम (डब्ल्यूपीए), 1972 की धारा 39 व 51 के तहत संबंधित प्रखंडों द्वारा पीओआर दर्ज किया गया है और संबंधित अपराधियों से 10,000 रुपये और 6000 रुपये का जुर्माना वसूल किया गया है।

इस तरह के अवैध पक्षी व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से दूर कर दिया जाता है और उन्हें उस हर चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। और यह सब सिर्फ इसलिए कि इन पक्षियों को “पालतू” या फर्जी “भाग्य बताने वाले” पक्षी के रूप में बेचा जा सके। पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से चुरा लिया जाता है जबकि अन्य पक्षी जो शिकारियों के बिछाये जाल में फस जाते हैं वह वहाँ से भाग निकलने के प्रयास में भीर रूप से घायल हो जाते हैं या मौत के शिकार बनते हैं। इस तरह से पकड़े गए पक्षियों को छोटे बक्से में पैक किया जाता है, और उनमें से अनुमानित 60% पक्षियों के पंख टूट चुके होते हैं और वह घबराहट या अवसाद के चलते मर भी जाते हैं। जो जीवित रहते हैं वे एक अंधकार भरे कमरों व पिंजरों में आजीवन अकेले रहते हैं व कुपोषण, अकेलेपन, अवसाद और तनाव से पीड़ित होते हैं।

जिस किसी ने भी पक्षियों को कैद करके पिंजरों में रखा है या पालतू के रूप में घर पर रखा है, PETA इंडिया उस हर इंसान को यह सलाह देता है कि वह किसी स्थानीय वन विभाग या पशु संरक्षण समूह के साथ तत्काल बातचीत कर उन पक्षियों को आज़ाद कर दें।

पक्षियों को पिंजरे में बंद करने की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने हेतु हमारी सहायता करें!

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