भगवान आपकी आत्मा को शांति दे गजराज !

Posted on by PETA

‘गजराज’ हाथी सन 1965 में जंगल से उसके परिवार से चुराकर लाया गया था जब वो महज़ 12 साल का था। तब से लेकर अगले 50 साल उसने अकेले, जंजीरों में बंधकर, मंदिर व पर्यटक स्थल के पास बिताए। PETA इंडिया ने उसकी रिहाई के लिए बेजोड़ मेहनत की जिसके चलते गजराज ने अपनी जिंदगी के अंतिम कुछ साल Wildlife SOS की देखरेख में आज़ाद रहकर व साथी दोस्तों के बीच बिताए।

भारत भर में, अनेकों हाथी कई कई दशकों तक मंदिरों, सर्कसों या फिर पर्यटकों के मनोरंजन हेतु कैद में रहते हैं। देश भर में की गयी जांच में पाया गया की अनेकों जगहों पर कैद करके जंजीरों में जकड़ कर रखा गया है। कैद में रखे गए यह हाथी अनेकों यतनाओं का शिकार हो रहे हैं जैसे शरीर पर गहरे घाव, बीमारियाँ, कुपोषण व तपेदिक की बीमारियों से ग्रसित हैं। इनमे से बहुत से तो आंशिक या पूर्णतया नेत्रहीन भी हैं।

अक्सर चारों  पैरों से जकड़े हुए यह हाथी भीषण गर्मी में बिना पूरी तरह भोजन या पानी के कंक्रीट के बने फर्श पर रहने के लिए मजबूर किए जाते हैं। जंजीरों की जकड़न बेहद दर्दनाक होती है और अक्सर इनके पाँव में घाव बना देती है जिसमे शरीर में संक्रमण फ़ेल जाता है। पाँव में बंधी यह जंजीरे बेहद नुकीली होती है ताकि हाथी ज्यादा हिलडुल न सके।

हर दिन ज्यादा चलने फिरने की मनाही होने से हाथियों में अक्सर गंभीर शारीरिक दुर्बलता और मानसिक गिरावट आ जाती है। लगातार व्यस्तता और सामाजिक जुड़ाव की कमी से उनमें से कई मानसिक संतुलन खो देते है या फिर गंभीर तनाव का शिकार होते हैं। बार बार सिर को गोल गोल घूमना, आगे पीछे होना या सिर फटकने जैसी हरकते उनके गंभीर तनाव का  संकेत देती हैं।

गजराज की तरह, लक्ष्मी नामक एक हथिनी भी तब युवा थी जब पुडुचेरी के एक मंदिर में उसको कैद करके रख लिया गया। पिछले दो दशकों से, उसे कंक्रीट के बने फर्श पर जंजीरों से बांध कर रखा गया है। उसके चारों पैरों में जंजीर के घाव के निशान हैं व पैरों के तलवे कटे फटे हैं। लगातार इन कठोर सतहों पर रहने से, चलने से व शरीर को रगड़ने से उसके शरीर में जगह जगह घाव बन चुके हैं।

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लक्ष्मी की शारीरिक स्थिति बिगड़ने से अधिकारियों ने हाल ही में उसे शहर के बाहर एक अलग स्थान पर स्थानांतरित कर दिया, लेकिन उसकी हालत के मद्देनजर यह पर्याप्त नहीं है, उसे बेहतर देखभाल के लिए किसी ऐसी सेंक्चुरी या पुनर्वास केंद्र में भेजे जाने के आवश्यक्ता है जहां उसे पर्याप्त चिकित्सीय देखभाल मिल सके व वह अन्य साथी हाथियों की संगत में रह सके।

लक्ष्मी हथिनी को पुनर्वास केंद्र भेजा जाना चाहिए