मुर्गीपालन व्यवसाय में चूज़ों की क्रूर एवं गैरकानूनी हत्याओं पर राजस्थान की सख्त कार्यवाही की पहल

Posted on by PETA

PETA इंडिया से शिकायत मिलने पर कि राजस्थान राज्य में मुर्गी पालन केन्द्रों द्वारा अनचाहे नर चूज़ों की बेरहम व गैरकानूनी तरीकों से हत्याएँ की जा रही हैं, राजस्थान पशुपालन विभाग के उप निदेशक ने तत्काल आदेश जारी कर इस तरह के गैरकानूनी कृत्य जो कि “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” का उलंघन करते हैं, पर रोक लगवाने के कार्यवाही की है। उन्होने ज़िला पशुपालन विभाग अधिकारियों को को नर चूजों की बेरहम हत्याओं को रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये हैं और साथ ही साथ भारत के जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) तथा लॉ कमीशन ऑफ इंडिया (LCI) द्वारा मान्य की गयी तकनीकों का उपयोग करने का भी निर्देश दिया है।

चूँकि नर चूजे अंडा नहीं दे सकते इसीलिए मांस एवं अंडा उद्योग में आमतौर पर, नर चूज़ों को, और अन्य कमजोर चूज़ों  को, पीसकर, कुचलकर, जलाकर, डुबाकर मारा जाता है या कभी उन्हें मछलियों का भोजन बना दिया जाता है।

PETA इंडिया ने अपनी अपील में राज्य सरकार से कहा है कि अनचाहे चूज़ों को मारने के यह क्रूर तरीके जाहिर तौर पर “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” की धारा 11 (1) (L) का उलंघन करते हैं। PETA समूह ने अनुरोध किया है कि पशुपालन विभाग राज्य के मुर्गीपालन केन्द्रों द्वारा की जा रही चूजों की क्रूर हत्याओं पर रोक लगवाए तथा अंडा उद्योग को इस हेतु OVO तकनीक (जब उपलब्ध हो) इस्तेमाल करने को कहे। यह नई तकनीक है, जो विदेशों में विकसित की गई और जल्द ही व्यावसायिक रूप से यहाँ भी उपलब्ध होगी, इस तकनीक के माध्यम से शुरुआती चरण में ही नर भ्रूण की जाँच के जा सकेगी व जन्मे हुए चूज़ों की क्रूर मौत न हो इस हेतु निर्णय लिया जा सकेगा।

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय द्वारा बेसिक पशुपालन पर जारी 2019 रिपोर्ट के अनुसार अंडा उत्पादक राज्यों में राजस्थान का नाम बहुत आगे है। इसलिए यह जरूरी है की जब भी लिंग निर्धारण हेतु OYO तकनीक उपलब्ध हो उसे तत्काल रूप से यहाँ लागू किया जाये।

इससे पूर्व PETA इंडिया के अनुरोध पर आंध्र प्रदेश, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभागों ने राज्यों में अनचाहे नर चूज़ों की क्रूर एवं गैरकानूनी हत्याओं को रोकने हेतु आदेश जारी कर इस पर तत्काल रोक लगाने एवं इस हेतु भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड तथा लॉ कमिशन ऑफ इंडिया द्वारा मान्य तकनीकों को अपनाने हेतु निर्देशित किया है।

जर्मनी ने लिंग निर्धारण तकनीक हेतु  € 5 मिलियन (40 करोड़ रुपये) का निवेश किया है। इसके साथ साथ फ्रांस एवं स्विट्जरलैंड ने अपने देशों में जीवित नर चूज़ों की प्रचलित क्रूर हत्याओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाए हैं।

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