PETA इंडिया की शिकायत के बाद रायपुर पुलिस ने कुत्ते के बच्चों को बोरे में भरकर फेंकने के खिलाफ़ मामला दर्ज़ किया

Posted on by Siffer Nandi

इंपीरियल हाइट्स सोसाइटी के कई निवासियों द्वारा कुत्ते के बच्चों को प्लास्टिक की बोरियों में भरकर उन्हें अपनी जन्मस्थान सोसाइटी से स्थानांतरित करने का वीडियो वायरल होने के बाद, PETA इंडिया की डॉ. किरण आहूजा ने वंचना लबन, प्रसून झा और मनु बघेल नामक स्थानीय लोगों की मदद से कबीर नगर थाने में शिकायत दर्ज़ कराई है। इस मामले में पुलिस ने 2 अप्रैल को अवैध रूप से चार महीने के पांच कुत्ते के बच्चों को विस्थापित करने के आरोपी इंपीरियल हाइट्स के निवासी के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 (1) (D) के तहत FIR दर्ज की है। इनमें से दो पशुओं को उनके जन्मस्थान पर वापस छोड़ दिया गया है लेकिन अन्य तीन पशुओं के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। PETA इंडिया के अनुरोध के परिणामस्वरूप पुलिस द्वारा इस सोसाइटी के लोगों से एक अंडरटेकिंग ली गयी है जिसके अनुसार वे अपने स्तर पर लापता पशुओं की खोज करेंगे और जानवरों के प्रति क्रूरता या सामुदायिक कुत्तों को भोजन देने वाले लोगों का उत्पीड़न नहीं करेंगे।

 

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पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2023 के नियम 11(19) के अंतर्गत, सामुदायिक कुत्तों को पकड़ने की अनुमति केवल नसबंदी के उद्देश्य से दी गयी है और इसके अनुसार, सामुदायिक पशुओं को स्थानांतरित करना अवैध है। इसमें कहा गया है कि “कुत्तों को [नसबंदी के बाद] उसी स्थान या इलाके में छोड़ना होगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था”। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 18 नवंबर 2015 के एक अंतरिम आदेश के तहत, जीव जन्तु कल्याण बोर्ड बनाम पीपुल फॉर एलिमिनेशन ऑफ स्ट्रै ट्रबल  शीर्षक मामले में ABC नियम, 2023 और PCA अधिनियम, 1960 के पालन को अनिवार्य घोषित किया था। शीर्ष अदालत द्वारा उल्लेखित किया गया था कि सामुदायिक कुत्तों के संबंध में  वैधानिक प्रावधानों के अनुसार निर्णय लेना अनिवार्य है और इनका उल्लंघन अवैध है। अदालत ने इस फैसले के माध्यम से सभी नगर निकायों को निर्देश दिया कि वे कुत्तों की आबादी और इससे जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए एक मजबूत नसबंदी कार्यक्रम शुरू करें। इसलिए कुत्तों के साथ इस प्रकार का क्रूर व्यवहार करना PCA अधिनियम, 1960, ABC नियम, 2023 और उपरोक्त सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है।

PETA इंडिया उल्लेखित करता है कि सामुदायिक कुत्तों को अक्सर मानवीय क्रूरता या सड़क दुर्घटनाओं के चलते अपनी जान गवानी पड़ती है और वह आमतौर पर भुखमरी, बीमारियों या चोटों से पीड़ित होते हैं। हर साल पशु आश्रयों में कई जानवरों की मृत्यु होती है जहाँ वे अपना पूरा जीवन एक प्यारभरे घर की प्रतीक्षा में बिता देते हैं। इस समस्या का सबसे सफल समाधान नसबंदी कार्यक्रम चालना है। एक मादा कुत्ते की नसबंदी से छह वर्षों में 67,000 कुत्तों और एक मादा बिल्ली की नसबंदी से सात वर्षों में 4,20,000 बिल्लियों के जन्म को रोका जा सकता है।

कुत्तों द्वारा कोंडोम्स का प्रयोग नहीं किया जा सकता है, कृपया उनकी नसबंधी कराएँ

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