‘कबूतर भी हमारे साथी हैं’: BNHS और JSW फाउंडेशन की डॉक्यूमेंट्री के रिलीज के बाद PETA इंडिया ने पक्षियों का बचाव किया

Posted on by Erika Goyal

‘बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ एवं JSW फाउंडेशन की भ्रामक डॉक्यूमेंट्री के रिलीज़ होने के बाद, जिसमें कबूतरों को मानव स्वास्थ्य के लिए ख़तरा बताते हुए गलत तरीके से बदनाम किया गया है, PETA इंडिया ने दादर के कबूतरखाना में एक बिलबोर्ड लगवाकर जनता से अपील करी है कि हमारे घर पर रहने वाले साथी कुत्तों की तरह कबूतर भी हमारे दोस्त होते हैं और वह भी इनकी तरह संवेदनशीलता एवं प्यार के हकदार हैं। केवल प्रजातिवादी सोच रखने वाला कोई व्यक्ति ही इनके साथ बुरा या अलग व्यवहार कर सकता है, जिसकेअनुसार, मनुष्य अन्य पशुओं से श्रेष्ठ हैं।

PETA इंडिया ने बताया कि कॉमन रॉक प्रजाति के कबूतर भारत के मूल निवासी हैं, जबकि कबूतर की कई अन्य प्रजातियों को यूरोपीयन लोगों द्वारा खाने और ‘मस्ती’ के लिए शिकार करने के लिए लाया गया था। अध्ययनों और साहित्य की समीक्षा से पता चलता है कि इनसे मनुष्यों में बीमारियाँ फैलने का जोखिम बेहद कम होता है यहाँ तक कि उन लोगों में भी जो अक्सर इन कबूतरों के निकट रहते हैं। आमतौर पर कबूतर बर्ड फ्लू के प्रति प्रतिरोधी भी होते  हैं – जो अभी पूरे भारत में फैल रहा है और पहले भी दुनिया के अन्य हिस्सों में मनुष्यों को संक्रमित कर चुका है और उनकी मौत का कारण बन चुका है। कबूतरों द्वारा इस गंभीर बीमारी के फैलाने का खतरा बहुत कम है। इसके विपरीत, गंदे फार्म हाउस में पाले जाने वाले मुर्गी और गाय जैसे अन्य पशुओं में बर्ड फ्लू जैसे खतरनाक जूनोटिक रोगों को फैलाने की संभावना अधिक होती है।

कबूतर बहुत बुद्धिमान होते हैं – वे अलग-अलग कलाकारों की कलाकृतियों में अंतर कर सकते हैं, 50 से ज़्यादा  शब्दों को पढ़ना सीख सकते हैं, प्राइमेट्स की तरह ही नंबर  गिनकर सकते हैं और यादाश्त के बहुत से मामलों में तो वो इंसानों से आगे निकल सकते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में इंसानों द्वारा डिज़ाइन की गई सड़कों के ऊपर कबूतरों की उड़ान के पैटर्न पर 10 साल तक किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि पक्षी अपने आंतरिक चुंबकीय कम्पास की तुलना में इंसानों द्वारा बनाए गए परिवहन मार्गों के ऊपर ज़्यादा भरोसा करते हैं। एक वैज्ञानिक ने टिप्पणी करी कि, “हमने कुछ ऐसे कबूतरों का पीछा किया जो ऑक्सफ़ोर्ड बाईपास पर उड़ते थे और कुछ खास जंक्शनों पर मुड़ भी जाते थे। यह बिल्कुल इंसानों जैसा है।”

PETA इंडिया का बिलबोर्ड मुंबई स्थित दादर के कबूतर खाना में कबूतरखाना बस स्टॉप पर लगाया गया है।

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