चमड़ा उद्योग से प्रदूषित हो रही गंगा के बचाव हेतु PETA इंडिया का प्रदर्शन

Posted on by PETA

‘राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस (2 दिसम्बर)’ से पहले शुक्रवार को जैविक सुरक्षा सूट पहनकर व हाथों में “गंगा को प्रदूषण से बचाओ- चमड़े का बहिष्कार करो” नामक संदेश लिखे बोर्ड पकड़कर चमड़ा उद्योग द्वारा फैलाये जा रहे विषैले प्रदूषण के खिलाफ PETA इंडिया के सदस्यों ने वाराणसी में प्रदर्शन किया।  भारत सहित दुनियाभर में गंगा व अन्य जलस्रोतों को प्रदूषित करने में चमड़ा उद्योग से निकलने वाले विषैले रसायनों का बड़ा योगदान हैं।

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गंगा नदी पर बसे कानपुर शहर व उसके आसपास के क्षेत्र में 400 से अधिक चमड़ा बनाने के कारखाने है जिनसे carcinogenic chromium सहित निकलने वाले अनेकों जहरीले रसायन, गंदे पानी के निकास के रूप में सीधे गंगा के पानी में जाकर मिलते हैं। तमिलनाडु के दो ज़िलो में चमड़ा कारखानों ने 36000 किसानों की उपजाऊ भूमि को बर्बाद कर दिया है। इन कारखानों से निकलने वाले जहरीले रसायनों से मनुष्यों में कैंसर, श्वसन संक्रमण व अन्य बीमारियाँ होती हैं। इसके अलावा यह उद्योग पशुओं के लिए मौत का सबब है।

चमड़ा उद्योग पशुओं की मौत का भी जिम्मेदार है। PETA इंडिया द्वारा की गयी जांच से खुलासा हुआ कि चमड़े के लिए मारे जाने वाले जानवरों को परिवहन के दौरान अत्यधिक संख्या में गाड़ियों में ठूस ठूस कर भरा जाता हैं व कत्लखानों तक पहुँचने से पहले ही अनेकों जानवर घायल व चोटिल हो जाते हैं। सचेत अवस्था में होने के बावजूद कत्लखानों में बड़ी बेदर्दी से उनका गला काट दिया जाता है।

अगर आप भी हमारी पवित्र गंगा नदी व पशुओं को बचाना चाहते हैं तो आज ही संकल्प लें की आप कभी भी चमड़े से बनी वस्तुओं व उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करेंगे