PETA इंडिया के बड़े से ‘कोंडोम’ विश्व स्पे डे से पहले पशु जन्म नियंत्रण को बढ़ावा दिया

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया के दो समर्थकों द्वारा स्पे डे (27 फरवरी) से पहले भोपाल में बड़े से ‘कोंडोम’ के रूप में प्रदर्शन करके लोगों को पशु जन्म नियंत्रण के संदर्भ में जागरूक किया गया। इन दोनों समर्थकों ने अपने हाथ में एक साइन भी पकड़ेंगे जिसपर लिखा था, “कुत्ते कोंडोम का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। कृपया उनका बंध्याकरण कराएँ।“ इन समर्थकों द्वारा जनता को Animal Birth Control (ABC) अर्थात पशु जन्म नियंत्रण के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए लीफलेट भी बांटें गए।

 भोपाल और पूरे भारत में, अनगिनत कुत्ते और बिल्लियाँ सड़कों पर जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनमें से कई पशुओं को रोज़ भूखमरी का सामना करना पड़ता है, लोगों द्वारा मारा-पीटा जाता है या मौत के घाट उतारा जाता है। इन पशुओं के चलती सड़क पर गाड़ी से चोट लगने का ख़तरा बना रहता है, या यह अन्य तरीकों से दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। इनमें से कई पशुओं को अच्छे घरों की कमी के कारण पशु आश्रयों में भेज दिया जाता है। जब भी कोई व्यक्ति पशु बिक्री दुकानों से या किसी ब्रीडर से कुत्ते या बिल्ली को खरीदता है तो किसी बेघर पशु को उसका घर मिलने का अवसर समाप्त हो जाता है। अग्रणी पशु कल्याण विशेषज्ञों के एक सलाहकार बोर्ड के साथ साझेदारी में Mars Petcare India की एक रिपोर्ट, State of Pet Homelessness Index के अनुसार, भारत में अनुमानित 80 मिलियन कुत्ते और बिल्लियाँ अपना जीवन सड़कों पर बीता रहे हैं।

इस समस्या का सीधा समाधान ABC है। एक मादा कुत्ते का बंध्याकरण करने से छह साल में 67,000 बच्चों को जन्म लेने से रोका जा सकता है और एक मादा बिल्ली का बंध्याकरण करने से 4,20,000 बच्चों के जन्म पर रोक लगाई जा सकती है। जिन पशुओं का बंध्याकरण कराया जाती है वो लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीते हैं और, मादा पशुओं के मामले में, उनके भटकने, लड़ने या काटने की संभावना कम हो जाती है।

केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत राज्यों हेतु पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 अधिसूचित किया है। इस नियम के अनुसार, नगर पालिका, नगर निगम और पंचायत जैसे संबंधित स्थानीय निकायों को सामुदायिक कुत्तों के बंध्याकरण और टीकाकरण के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया गया है। PETA इंडिया कुत्ते और बिल्ली के अभिभावकों को भी अपने साथी जानवरों का बंध्याकरण करवाने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि पहले से ही पैदा हुए कई बच्चों को एक प्यारभरा अच्छा घर मिल सके एवं वह सभी एक शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सके।

हर साल, लाखों कुत्ते और बिल्लियाँ सड़कों पर पीड़ित होते हैं या पशु आश्रयों में मर जाते हैं क्योंकि उन्हें एक प्यारभरा घर नहीं मिल पाता है।

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