PETA इंडिया ने गाय प्रशंसा दिवस के अवसर पर ‘चमड़ा निर्यात परिषद’ से पेड़-पौधों का प्रयोग करके चमड़ा उत्पादन करने का अनुरोध किया

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गाय प्रशंसा दिवस (13 जुलाई) के अवसर पर PETA इंडिया ने भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आधीन चमड़ा निर्यात परिषद के अध्यक्ष श्री संजय लीखा को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह अपने सदस्यों को चमड़ा उत्पादों के लिए गायों और भैसों की हत्या बंद करने की सलाह दें। PETA इंडिया के अनुसार, यह निर्णय ग्राहकों की बदलती मांग और वीगन चमड़े के उत्पादों की ओर बढ़ते आकर्षण के मद्देनजर वीगन के नए नए उत्पाद बनाने के के नए अवसर विकसित करके किया जा सकता है। वर्तमान में, वीगन चमड़े का निर्माण विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों जैसे केले, अंगूर, सेब, अनानास और नारियल से किया जाता है जो पहले से ही भारत में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इसका उत्पादन मंदिर से निकलने वाले भगवान को चढ़ाये हुए पुराने फूलों से भी किया जा सकता है।

वर्तमान में, बहुत सी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा वीगन चमड़े का प्रयोग किया जा रहा है जैसे Gucci के सहयोग से Demetra द्वारा लकड़ी की लुगदी से वीगन चमड़ा तैयार किया जा रहा है तथा Hermès द्वारा MycoWorks के साथ मिलकर मशरूम से बनाया गया Sylvania नामक वीगन चमड़े का उत्पादन किया जा रहा है। PETA इंडिया देश के उत्पादकों और किसानों को देशी और विदेशी बाज़ार में मज़बूत स्तर पर लाने का और उन्हें नए एवं बेहतर अवसरों की पहचान कराकर पशु उत्पादित कपड़ों, भोजन और अन्य पदार्थों के उत्पादन करने की बजाय वीगन उत्पादों के निर्माण हेतु प्रोत्साहित कर रहा है।

अपने पत्र में PETA इंडिया ने बताया कि वीगन चमड़े की मांग लगातार बढ़ रही है। Infinium Global Research के अनुसार, वर्ष 2025 तक वीगन चमड़ा उद्योग लगभग US$90 बिलियन तक पहुंच जाएगा। PETA इंडिया द्वारा इस अवसर को भुनाने के कई कारण भी दिए गए हैं जैसे चमड़ा उत्पादन से निकलने वाले गंदे रसायनिक को गंगा नदी में बहा दिये जाने से इन्सानों के स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है, उपजाऊ जमीने बंजर हो जाते हैंऔर कर्मचारियों के अधिकारों का भी हनन भी होता है साथ ही साथ चमड़ा उत्पादन में प्रयोग होने वाले ज़हरीले रसायनों से कर्मचारियों को त्वचा रोग, सांस लेने संबंधी बीमारियों और विभिन्न प्रकार के कैंसर का बड़ा ख़तरा है।

PETA इंडिया ने CLE  के अधिकारियों के साथ बाज़ारों, परिवहन रास्तों और बूचड़खानों में किए गए अपने दौरों में पाया कि भारतीय बूचड़खानों की स्थिति बहुत ही भयावह है। परिवहन हेतु मवेशियों को गाड़ियों में इस तरह से ठूस ठूसकर भरा जाता है कि रास्ते में ही उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं और फिर उन्हें बेहद क्रूर ढंग से घसीट कर गाड़ियों से नीचे उतारा जाता है। वीडियो फुटेज में देखा गया कि बूचड़खानों में जानवरों को बिना बेहोश किए कर्मचारियों द्वारा खुले में अन्य साथी जानवरों के सामने ही पशु का गला काट दिया जाता है।

गाय प्रशंसा दिवस की शुरुआत US की Chick-fil-A नामक फास्ट-फूड कंपनी द्वारा एक मार्केटिंग पहल के तौर पर की गयी थी जिससे बाज़ार में गोमांस की जगह मुर्गी के मांस को अधिक लोकप्रियता मिल सके। लेकिन PETA US द्वारा इस अवसर को उपयोग जनता को लगातार यह बताने के लिए किया जा रहा है कि गाय और मुर्गियां दोनों ही मायने रखती हैं और इनमें से किसी को भी भोजन हेतु मौत के घाट नहीं उतारना चाहिए।

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