PETA इंडिया ने एक बार फिर पशुओं के साथ किए गए यौन शोषण को संज्ञेय अपराध के रूप में शामिल करने का आह्वान किया

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मुंबई के हाई-प्रोफाइल मामले में एक कुत्ते के साथ बलात्कार करने के आरोप में संदिग्ध की गिरफ्तारी के बाद, PETA इंडिया इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह जी को की गई अपनी अपील के महत्व को फिर एक बार ज्ञात करा रहा है जिसमें हमने सरकार से “पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960” में संशोधन करने का आग्रह किया था। ऐसे होने से जानवरों पर यौन हमले को संज्ञेय अपराध के रूप में शामिल किया जा सकेगा। हमने पहली बार यह अपील 2018 में “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” को हरियाणा के नूंह जिले के मेवात शहर से आई उन रिपोर्टों के मद्देनजर की थी जिनके अनुसार आठ पुरुषों ने कथित तौर पर एक गर्भवती बकरी का सामूहिक बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी जिसके लिए उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। हम लंबे समय से PCA अधिनियम के अंतर्गत दंड प्रावधानों को और मज़बूत करने की अपील कर रहे हैं।

2019 में, नवी मुंबई के खारघर में एक स्थानीय पशु अधिकार कार्यकर्ता और PETA इंडिया द्वारा  स्थानीय पुलिस के पास दायर की गई शिकायतों के बाद, एक मादा बेघर कुत्ते के साथ बलात्कार करने के आरोप में संदिग्ध के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। एक साल पहले PETA इंडिया और एक अन्य स्थानीय पशु अधिकार कार्यकर्ता द्वारा की गई शिकायत के बाद, एक संदिग्ध के खिलाफ जयपुर में एक मादा बेघर कुत्ते के साथ कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप में FIR दर्ज की गई थी। 2016 में, PETA इंडिया ने वेल्लोर के उन मेडिकल छात्रों की गिरफ्तारी की मांग की थी, जिन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, एक बंदरिया को पकड़ने के लिए कंबल का इस्तेमाल किया और उसके हाथ, पैर और गर्दन को बांध दिया। इन छात्रों ने लाठी और बेल्ट से जानवर की पिटाई भी की, नुकीले हथियार से उस पर हमला किया, उसके पैरों और जबड़े को तोड़ दिया, रॉड से उसका बलात्कार किया और उसे मार डाला। यह सब घिनौने अपराध केवल कुछ उदाहरण मात्र हैं।

जानवरों के प्रति क्रूरता के मामले एक गहरी मानसिक अशांति की ओर संकेत करते हैं। मनोविज्ञान और अपराध विज्ञान में अनुसंधान से सामने आया है कि जो लोग जानवरों के साथ क्रूरता करते हैं, वे अक्सर मनुष्यों को भी चोट पहुँचाने का प्रयास करते हैं। “US Federal Bureau of Investigation” ने पाया है कि अक्सर बलात्कारियों और हत्यारों के पुराने रिकॉर्ड में जानवरों के प्रति क्रूरता के मामलों को भी पाया जाता है।

विश्वभर में अपराधियों के ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्होंने जानवरों के साथ-साथ मनुष्यों के साथ भी घोर दुर्व्यवहार किया। इस प्रकार के उदाहरणों में अमीरुल इस्लाम शामिल है, जिसने पहले केरल की एक कानून की छात्रा जिशा का बलात्कार एवं हत्या की और फिर फांसी की सजा से पहले कुत्तों एवं बकरियों का बलात्कार कर उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया। नॉर्थन आयरलैंड के अपराधी जोसफ बटेसोन को एक छः साल के बच्चे के साथ योन शोषण करने हेतु घोर अभद्रता के 17 मामलों में दोषी पाया गया और इसने कथित तौर पर खेत में काम करने वाले जानवरों का भी यौन शोषण किया। अमेरिकी अपराधी जैरी कुक ने भी पहले एक कुत्ते का बलात्कार कर उसे घायल किया एवं उस घर के मालिक पर भी हमला किया जिसमें वह छुपकर घुसा था। कुक के हिंसात्मक व्यवहार की शुरुआत लगभग बीस साल पहले हुई थी, जब उसे मानव बलात्कार का दोषी ठहराया गया था।

इससे पहले, PETA इंडिया ने “गृह मंत्रालय” और “कानून एवं न्याय मंत्रालय” से अनुरोध किया था कि वह “भारतीय दंड संहिता” की धारा 377 के अंतर्गत समान लिंग के दो साथियों और अन्य राज़ी वयस्कों के शारीरिक संबंधों को अपराधिकरण की श्रेणी से हटाने हेतु संशोधन करते हुए, मनुष्यों द्वारा जानवरों के साथ किए गए यौन शोषण की अपराधीकरण श्रेणी को बनाए रखें। इस संबंध में धारागत प्रावधान को अपरिवर्तित रखा गया है।

भारत में जानवर क्रूरता हेतु कमज़ोर दंड प्रावधानों के कारण पीड़ित हो रहे हैं