PETA इंडिया ने पशु कल्याण और जनस्वास्थ्य को लेकर चिंता जताते हुए बोनालू और मुहर्रम आयोजकों को मकैनिकल हाथी उपहार देने की पेशकश की

Posted on by Erika Goyal

हाथियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और हाल ही में घटी उन घटनाओं के मद्देनज़र, जिनमें क़ैद में रखे गए परेशान हाथियों ने हिंसक रूप धारण कर लोगों को घायल किया और कुछ मामलों में जान भी ले ली, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने सिकंदराबाद और हैदराबाद में होने वाले आगामी बोनालू और मुहर्रम आयोजनों के आयोजकों को असली हाथियों के स्थान पर प्रयोग करने के लिए मकैनिकल हाथी प्रदान करने की पेशकश की है।

PETA इंडिया ने तेलंगाना के एंडोमेंट्स विभाग के निदेशक श्री एस. वेंकट राव को, जो बोनालू उत्सव का आयोजन करते हैं, तथा HEH द निज़ाम्स रिलीजन ट्रस्ट के चेयरमैन अज़मत जाह, तेलंगाना विधान परिषद के सदस्य मिर्ज़ा रियाज़-उल-हसन इफ़ंदी और तेलंगाना राज्य वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन सैयद अज़मतुल्ला हुसैनी को पत्र लिखकर मुहर्रम आयोजनों के लिए एक असली दिखने वाले मकैनिकल हाथी की पेशकश की है। पत्र में यह बताया गया है कि मकैनिकल हाथी का उपयोग करने से न केवल पशु कल्याण सुनिश्चित होगा बल्कि किसी परेशान हाथी के माध्यम से होने वाली संभावित जनहानि से भी बचा जा सकेगा। साथ ही, PETA इंडिया ने प्रोजेक्ट एलिफेंट के निदेशक और तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और दिल्ली के मुख्य वन्यजीव वार्डनों को भी पत्र भेजकर आग्रह किया है कि हाथियों को अनावश्यक पीड़ा और कष्ट से बचाने के लिए इन जुलूसों में उनके परिवहन और उपयोग की किसी भी अनुमति को अस्वीकार किया जाए।

 

पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि 2004 में मुहर्रम में इस्तेमाल की गई हथिनी गजलक्ष्मी ने अफरा-तफरी मचा दी थी और कई लोगों की जान जोखिम में डाल दी थी—यह घटना आज भी इस सच्चाई की एक सशक्त याद दिलाती है। हाल ही में बोनालू और बीबी का आलम कार्यक्रमों में इस्तेमाल की गई हथिनी माधुरी या महादेवी ने एक मंदिर के पुजारी की जान ले ली, जिससे जीवित हथिनियों के उपयोग से जुड़े गंभीर ख़तरों पर और ज़ोर दिया गया। पिछले साल कर्नाटक से लाई गई आंशिक रूप से नेत्रहीन हथिनी रूपावती को घंटों तक जुलूस में चलाया गया था, जहां उसे हजारों लोगों की भीड़ और लाउडस्पीकरों के तेज़ शोर के बीच अंकुश के ज़रिए नियंत्रित किया जा रहा था।

PETA इंडिया ने चेतावनी दी है कि हाथी वन्य जीव होते हैं जिनका व्यवहार विशेष रूप से बड़ी और शोरगुल वाली भीड़ के बीच अप्रत्याशित हो सकता है, और वे अक्सर किसी भी असहज करने वाली चीज़ पर प्रतिक्रिया करते हुए अपने महावतों या अन्य इंसानों पर हमला कर बैठते हैं। वहीं, मकैनिकल हाथियों को अब कई मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में अपनाया जाने लगा है, जो सभी उपस्थित लोगों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावशाली अनुभव प्रदान करते हैं। संगठन ने आयोजकों से अपील की है कि वे जीवित हाथी के उपयोग से जुड़े संभावित ख़तरों और पशुओं की पीड़ा पर गंभीरता से विचार करें।

2025 में, केरल में धार्मिक या पारंपरिक कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कम से कम बीस बंदी हाथी बुरी तरह परेशान हो गए और अलग-अलग घटनाओं में छह लोगों की जान ले ली, कई अन्य को घायल किया या संपत्ति को नुकसान पहुँचाया। यह भी उल्लेखनीय है कि 2024 में देशभर में ऐसी कम से कम चौदह घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें बंदी हाथियों ने अपने महावतों या आसपास मौजूद अन्य लोगों को घायल किया या उनकी जान ले ली।

PETA इंडिया ने 2023 की शुरुआत में धार्मिक संस्थानों द्वारा जीवित हाथियों के उपयोग के स्थान पर मकैनिकल हाथियों को अपनाने की करुणामयी मुहिम की शुरुआत की थी। अब देशभर के मंदिरों में कम से कम सत्रह मकैनिकल हाथियों का उपयोग किया जा रहा है। PETA इंडिया ने ऐसे मंदिरों के निर्णय का सम्मान करते हुए, जिन्होंने कभी भी जीवित हाथी न पालने या किराए पर न लेने का संकल्प लिया है, दस मकैनिकल हाथी दान में दिए हैं। ये मकैनिकल हाथी लगभग 3 मीटर ऊंचे होते हैं और इनका वज़न 800 किलोग्राम तक होता है। इन्हें रबर, फाइबर, मेटल, मेश, फोम और स्टील से तैयार किया गया है और ये पांच मोटरों से चलते हैं। एक मकैनिकल हाथी देखने और छूने में असली हाथी जैसा लगता है और उसका उपयोग भी उसी प्रकार किया जा सकता है। यह अपना सिर हिला सकता है, कान और आंखें हिला सकता है, पूंछ हिला सकता है, सूंड उठा सकता है और पानी भी फुहार सकता है। इन पर चढ़ा भी जा सकता है और इनकी पीठ पर एक आसन भी लगाया जा सकता है। इन्हें बस बिजली से प्लग इन करके आसानी से चलाया जा सकता है। ये सड़कों पर चलने के लिए उपयुक्त होते हैं और पहियों के बेस पर बने होने के कारण इन्हें आसानी से घुमाया और धार्मिक जुलूसों व अनुष्ठानों में शामिल किया जा सकता है।

 

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