PETA इंडिया ने रूपावती नामक हथिनी के लिए फ़र्जी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र जारी करने वाले पशुचिकित्सकों को बर्खास्त करने की मांग करी और जुलूस के दौरान पशु क्रूरता की निंदा करी

Posted on by Shreya Manocha

PETA इंडिया द्वारा कर्नाटक के डॉ. सतीश और तेलंगाना के डॉ. M नवीन कुमार, M अब्दुल हकीम, G शंभुलिंगम और B संबासिवा राव नामक पशुचिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी है, जिन्होंने रूपावती को परिवहन एवं प्रयोग हेतु स्वस्थ्य घोषित किया जबकि वह दाई आँख से अंधी है और उसके के नाखूनों और तलवों की हालत बहुत ख़राब है एवं तलवे फटे हुए हैं। इस हथिनी की लंगड़ाती चाल में गठिया संबंधी परेशानियों के लक्षण भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होते है। इसके साथ-साथ, PETA इंडिया द्वारा कदाचार को रिपोर्ट करने के लिए कर्नाटक और तेलंगाना पशु चिकित्सकीय परिषदों को भी पत्र भेजे गए है।

 

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13 जुलाई को, रूपावती को एक झूठे स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के आधार पर मुहर्रम और बोनालु जुलूसों में भाग लेने के लिए कर्नाटक से तेलंगाना ले जाया गया था। लेकिन,स्वतंत्र वन्यजीव पशु चिकित्सकों द्वारा हाल ही में की गई एक व्यापक स्वास्थ्य जांच से पता चला है कि रूपावती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए अयोग्य हैं। इस रिपोर्ट में उल्लेखित किया गया कि रूपावती की धँसी हुई दाहिनी आँख से यह स्पष्ट है कि वह एकतरफा (unilateral) अंधेपन का शिकार है और उसे बोलकर या छूकर सही दिशा में चलने के लिए संकेत देने पड़ते हैं; गठिया के कारण उसके आगे वाले दोनों पैरों में अकड़नहै जिससे वह लंगड़ाकर चलती है; कठोर सतहों पर खड़े रहने के कारण उसके पैरों के तलवे फट गए हैं और क्यूटिकल्स बढ़ गए हैं जो कि लैमिनाइटिस नामक बीमारी का लक्षण है; और उसके पिछले बाएं हिस्से में एक गंभीर घाव है जो कि घोर लापरवाही और अपर्याप्त देखभाल की ओर संकेत करता है।

 

इस प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से यह पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि रूपावती लंबे समय से शारीरिक पीड़ा की शिकार है और उसे एक प्रतिष्ठित अभयारण्य में तात्कालिक रूप से पुनर्वासित करने की आवश्यकता है जहां वह अपना आगे का जीवन जंजीरों से मुक्त होकर अन्य हाथियों की संगति में शांतिपूर्ण ढंग से व्यतीत कर सके। इस स्थिति में,रूपावती का परिवहन परमिट भी अवैध साबित होता है क्योंकि इसको जारी करने के लिए रूपावती का स्वस्थ्य होना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता थी।इसके चलते रूपावती का कर्नाटक से स्थानांतरण और तेलंगाना में सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेना गैरकानूनी है और जारी किए गए परमिट का सीधा उल्लंघन है।फर्जी दावों के साथ इन स्वास्थ्य प्रमाणपत्रों को जारी करना पशु चिकित्सकीय नैतिकता का गंभीर उल्लंघन है और यह पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का भी स्पष्ट उल्लंघन है।

इस प्रकार का दुर्व्यवहार दिनांक 10 जुलाई 2024 को जारी हथिनी के स्थानांतरण परमिट, जिसे कर्नाटक के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) और मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा जारी किया गया था, और दिनांक 15 नवंबर 2022 को जारी उसके स्वामित्व प्रमाण पत्र का स्पष्ट उल्लंघन हैं क्योंकि यह दिन के दौरान भीड़-भाड़ वाले इलाकों और जुलूसों में रूपावती का उपयोग करने और उसे तेज शोर के बीच लाने पर प्रतिबंध लगाते हैं, साथ ही उसके तारकोल वाली पक्की सड़कों पर चलने पर भी विशेष रूप से प्रतिबंध लगाते हैं। कर्नाटक से तेलंगाना तक सड़क मार्ग से यात्रा करने और मुहर्रम तथा बोनालु जुलूसों की लंबी अवधि के बाद रूपावती को पर्याप्त आराम नहीं दिया गया था।

PETA इंडिया ने मुहर्रम और बोनालु जुलूसों के लिए सजीव हाथी के बजाय यांत्रिक हाथी के उपयोग के लिए धन और सुविधा देने की पेशकश की थी। इस प्रकार के यांत्रिक हाथी बिल्कुल किसी सजीव हाथी की तरह दिखते हैं और उन्हीं की तरह गतिविधियां एवं व्यवहार करते हैं, जिससे मानव सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों सुनिश्चित हो सकते हैं।

PETA इंडिया द्वारा पहले भी चार मंदिरों द्वारा धार्मिक कर्मकांडों, उत्सवों, या किसी अन्य उद्देश्य के लिए जीवित हाथियों या अन्य पशुओं को कभी भी इस्तेमाल ना करने की दयालु प्रतिज्ञा के बाद कई मशहूर हस्तियों की मदद से उन्हें यांत्रिक हाथी दान किए गए हैं। इनमें त्रिशूर के इरिंजदापिल्ली श्री कृष्ण मंदिर में इरिंजदापिल्ली रमन, कोच्चि में त्रिक्कयिल महादेव मंदिर में महादेवन, तिरुवनंतपुरम में पूर्णमिकवु मंदिर में बालाधासन, और मैसूर में श्री वीरसिम्हासन महासंस्थान मठ में शिवा शामिल हैं। इन सभी यांत्रिक हाथियों का उपयोग अब मंदिरों में सुरक्षित, क्रूरता-मुक्त समारोह आयोजित करने के लिए किया जाता है, जिससे असली हाथियों को प्रकृति में अपने परिवारों के साथ रहने का मौका मिल सके।