पामेला एंडरसन ने G20 में शिरकत करने वाले विश्व नेताओं से जलवायु आपदा से निपटने हेतु वीगन जीवनशैली अपनाने का आग्रह किया

Posted on by Shreya Manocha

हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री पामेला एंडरसन ने PETA इंडिया द्वारा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास लगवाए गए एक बिलबोर्ड अभियान में भाग लेकर जनता को वैश्विक जलवायु आपदा में पशु कृषि की भूमिका के प्रति जागरूक किया और वीगन जीवनशैली अपनाकर इस ग्रह और अपने लिए एक दयालु निर्णय लेने हेतु प्रोत्साहित भी किया। इस प्रकार की जलवायु आपदा के लक्षणों में लगातार बढ़ता तापमान, सूखा और बाढ़ एवं अन्य प्राकृतिक चुनौतियाँ शामिल हैं। हाल के महीनों में, दिल्ली में 50°C के करीब असामान्य रूप से उच्च तापमान दर्ज़ किया गया है।

इस संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार से हैं: दही एवं पनीर सहित मांस और डेयरी का उत्पादन, सभी खाद्य-संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 60% के लिए जिम्मेदार है, जो इसे जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख योगदानकर्ता बनाता है। वैश्विक पटल पर अनेकों वैज्ञानिक बिग बॉस में अपना जलवा बिखेरनी वाली स्टार हॉलीवुड स्टार पामेला एंडर्सन से सहमत हैं कि अपने ग्रह के संरक्षण हेतु वीगन जीवनशैली अपनाना सबसे महत्वपूर्ण है और विश्व नेताओं को इस बदलाव का नेतृत्व करना चाहिए। पामेला एंडरसन और PETA इंडिया को उम्मीद है कि G20 सदस्य देश अपने देशवासियों को वीगन जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित करके आहार परिवर्तन द्वारा जलवायु परिवर्तन से लड़ने हेतु प्रतिबद्ध होंगे।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि मांस और डेयरी का त्याग करने से अपने भोजन उत्सर्जित कार्बन फुटप्रिंट को 73% तक कम किया जा सकता है और वीगन जीवनशैली को वैश्विक तौर पर अपनाने से वर्ष 2050 तक 80 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को दो-तिहाई तक कम किया जा सकता है, और स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं में बचत हो सकती है। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि इससे 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जलवायु संबंधी क्षति से भी बचा जा सकता है।

वीगन जीवनशैली अपनाकर पशुओं के साथ होने वाले अत्याधिक शोषण को भी समाप्त किया जा सकता है। भारत जैसे अहिंसा प्रिय देश में, आमतौर पर डेयरी उद्योग द्वारा नवजात बछड़ों को इनकी माताओं से जबरन अलग कर दिया जाता है जिससे इनके दूध को बाज़ारों में इन्सानों के लिए बेचा जा सके।

वैश्विक स्तर पर, अनुमानतः हर साल 92.2 अरब ज़मीनी जानवरों का वध किया जाता है और उनमें से अधिकांश को गंभीर कारावास में पाला जाता है। अंडों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मुर्गियों को इतने छोटे पिंजरों में रखा जाता है कि वे अपने पंख नहीं फैला सकतीं और नर सूअरों और अन्य को दर्द निवारक दवाओं के बिना बधिया कर दिया जाता है। इसके साथ-साथ, मछलियों को पानी से बाहर निकालकर उनका दम घोंट दिया जाता है या उनके पूरे तरह से होश में रहने के दौरान उन्हें बहुत ही बेरहमी से काट दिया जाता है।

इस ग्रह को बचाने की शपथ लें, आज ही वीगन जीवनशैली अपनाएँ!