एक विशाल पतंग से ‘घायल पक्षी’ लखनऊ निवासियों से मकर संक्रांति से पहले पक्षियों की रक्षा करने की अपील करी

Posted on by Shreya Manocha

PETA इंडिया और आश्रय फाउंडेशन का एक समर्थक खून से सने और “कांच-लेपित मांझे” में फंसे पक्षी की पोशाक पहनकर एक विशाल पतंग पर लटका, जिस पर लिखा था, “काँच लेपित माँझा पक्षियों के पंख काट देता है” और “जानलेवा माँझे का इस्तेमाल न करें”। इस कार्रवाई का उद्देश्य जनता के बीच यह जागरूकता फैलाना था कि कांच से लेपित तेज़ धार वाला नायलॉन मांझा अपने सभी रूपों में पक्षियों और इंसानों के लिए ख़तरनाक है। इस प्रकार के धारदार माँझे के प्रयोग के कारण, हर साल बहुत से जानवर एवं इंसान चोटिल होते हैं और अपनी जान गँवाते हैं, इसलिए सभी के हित में पतंगबाज़ी हेतु केवल सादी सूती डोर का इस्तेमाल करना चाहिए।

मांझे के सभी प्रकार मनुष्यों, अन्य जानवरों और पर्यावरण को खतरे में डालते हैं। कांच से लेपित तेज़ धार वाले नायलॉन मांझे का कई लुप्तप्राय प्रजातियों और पक्षियों की आबादी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। हर साल हजारों पक्षी इनमें फंसकर चोटिल हो जाते हैं और खून की कमी के अपने प्राण गवां देते हैं। साथ ही साथ कई पक्षी पेड़ों या इमारतों पर फंसे मांझे से भी लिपट जाते हैं और आसानी से दिखाई न देने के कारण इन्हें समय से किसी प्रकार की पशुचिकित्सकीय मदद नहीं मिल जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप इन्हें काफी दर्दनाक मौत का शिकार होते हैं। मांझा अक्सर पेड़ों, खंभों और इमारतों पर लिपटा रहता है और पर्यावरण को प्रदूषित करता है।

मांझे के कारण हर साल कई इंसानों को भी अपनी जान गंवानी पड़ती है। पिछले साल दिसंबर में मुंबई में एक 37 वर्षीय कांस्टेबल की मांझे में फंसने के कारण गले में चोट लगने से मौत हो गई थी। पिछले साल उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक अन्य घटना में, एक 25 वर्षीय व्यक्ति के गले पर मांझे के कारण बहुत गंभीर चोट आई थी, और जनवरी में, गुजरात में मांजा से 11 लोगों की मौत हो गई, और राज्य में केवल दो दिन के अंदर-अंदर 1,281 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं थी।

मांझा ब्लैकआउट और बिजली के झटके से होने वाली मौतों का कारण भी बनता है। बिजली वितरण कंपनियों ने बिजली आपूर्ति लाइनों के आसपास पतंग उड़ाने के खिलाफ चेतावनी दी है क्योंकि इससे शॉर्ट-सर्किट के कारण आग लग सकती है और बिजली गुल हो सकती है।

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