भारतीय फार्माकोपिया आयोग का प्रस्ताव – पशुओं पर जानलेवा परीक्षण समाप्त होंगे

Posted on by PETA

PETA इंडिया से मिले समर्थन के उपरांत, भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) ने जानवरों को निरर्थक और घातक प्रयोगों हेतु इस्तेमाल करने व मार दिये जाने की प्रक्रिया में बदलाव किए हैं। अपने प्रस्ताव में, भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने असामान्य विषाक्तता परीक्षण को हटा दिया है। भारतीय फार्माकोपिया – देश में निर्मित होने वाली एवं बिक्री होने वाली दवाओं हेतु परीक्षणों की अनुमति देता है व उनका संकलन करता है।

IPC ने कुछ दवाओं के निर्माण हेतु उनका गिनी पिग्स और चूहों पर अनिवार्य रूप से परीक्षण किए जाने की शर्त समाप्त कर दिया है। इन परीक्षणों में इन नन्हें जीवों को एक टीका लगाया जाता है और यदि उनमें से कोई भी जीव नहीं मरता तो उस दवा को मानवीय इस्तेमाल हेतु सुरक्षित माना लिया जाता है। परीक्षणों के दौरान अगर कोई जानवर ज़िंदा रह भी जाता है तो उसे बाद में मार दिया जाता है। इस परिक्षण की अनिवार्यता को समाप्त करने से हजारो जीवों की जाने बच जाएगी।

2018 में, IPC ने इस परीक्षण से बचने के लिए कदम उठाए थे, लेकिन इस प्रस्ताव पर तब कार्यवाही हो सकी जब दिनांक 29 अप्रैल 2019 को आयोजित IPC विशेषज्ञों की सातवीं समूह बैठक में पशुओं पर परीक्षण ना किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया था और वैज्ञानिक निकाय कीओर से इस प्रस्ताव पर हरी झंडी मिलने के बाद इसे सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था। PETA इंडिया ने भी इस बैठक में भाग लिया था और पशु परीक्षण हटाये जाने का समर्थन भी किया था।

असामान्य विषाक्तता परीक्षण के बारे में जो जानकारी की समीक्षाएं मिली हैं उससे यह पता चला है कि, जानवरों का उपयोग करने के बजाय  परिक्षण और अनुसंधान करने के बेहतर विकल्प हमारे पास हैं।

इस परीक्षण को पूरी तरह से हटाए जाने के बाद IPC US फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन और यूरोपीयन डायरेक्टोरेट फॉर क्वालिटी ऑफ मेडिसिन इन एजेंसीज के साथ काम करने के लिए जुड़ जाएगी। इन एजेंसीज ने भी पशु परीक्षण का संचालन करने की आवश्यकता को हटा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक विशेषज्ञ समिति ने अपनी 2018 की रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि, “अगर ऐसे परिक्षण [असामान्य विषाक्तता परीक्षण ] को पूरी तरह से हटा दिया जाये तो भी इसके वजह से जैविक उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा से समझौता नहीं होगा”। यूरोपियन फेडरेशन ऑफ़ फ़ार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज एंड एसोसिएशंस ने भी ऐसे परीक्षण का इस्तेमाल करने से उसके तात्पर्य और मूल्य में कमी होती है इस बात को मान्यता दी है।