PETA इंडिया की शिकायत के बाद मुंबई अपार्टमेंट से अवैध रूप से रखे गए भारतीय स्टार कछुए और तोते को बचाया गया

Posted on by Shreya Manocha

एक चिंतित नागरिक की सूचना पर कार्रवाई करते हुए, PETA इंडिया ने रेंज वन अधिकारी, मुंबई रेंज, ठाणे वन प्रभाग के साथ मिलकर वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972 (2022 में संशोधित) के अंतर्गत संरक्षित प्रजातियों के दो स्टार कछुओं और एक तोते को बचाने के लिए काम किया। इन सभी पशुओं को मुंबई के उपनगर मलाड में एक व्यक्ति के घर पर अवैध रूप से रखा गया था। बचाए गए पशुओं को पुनर्वासित करने से पहले ठाणे वन प्रभाग की सुविधा के अंदर निगरानी में रखा गया है। संबंधित आरोपी के खिलाफ WPA की धारा 9, 39, 48, 48ए और 50 के तहत प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट (POR) दर्ज की गई है। भारतीय स्टार कछुए और तोते क्रमशः अधिनियम की अनुसूची I और अनुसूची II के तहत संरक्षित हैं, और संरक्षित प्रजाति को घरेलू कैद में रखना एक अपराध है, जिसके लिए न्यूनतम 25,000 रुपये का जुर्माना और न्यूनतम तीन साल की जेल की सजा हो सकती है, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है।

इस तरह के अवैध पक्षी व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से दूर कर दिया जाता है और उन्हें उस हर चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। और यह सब सिर्फ इसलिए कि इन पक्षियों को “पालतू” या फर्जी “भाग्य बताने वाले” पक्षी के रूप में बेचा जा सके। पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से चुरा लिया जाता है जबकि अन्य पक्षी जो शिकारियों के बिछाये जाल में फस जाते हैं वह वहाँ से भाग निकलने के प्रयास में भीर रूप से घायल हो जाते हैं या मौत के शिकार बनते हैं। इस तरह से पकड़े गए पक्षियों को छोटे बक्से में पैक किया जाता है, और उनमें से अनुमानित 60% पक्षियों के पंख टूट चुके होते हैं और वह घबराहट या अवसाद के चलते मर भी जाते हैं। जो जीवित रहते हैं वे एक अंधकार भरे कमरों व पिंजरों में आजीवन अकेले रहते हैं व कुपोषण, अकेलेपन, अवसाद और तनाव से पीड़ित होते हैं।

इस बीच, किसी भी अन्य कछुआ प्रजाति की तुलना में भारतीय स्टार कछुओं को अवैध व्यापारियों की गिरफ़्त से सबसे ज़्यादा जब्त किया जाता है।

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