नैतिक विज्ञान की दिशा में अहम कदम उठाते हुए PETA इंडिया ने वेबिनार आयोजित किया
नैतिक विज्ञान लगातार प्रगति कर रहा है! वैज्ञानिकों को शोध के लिए कोशिकाओं को गैर-पशु घटकों का उपयोग करके विकसित करने के तरीक़े सिखाने के लिए PETA इंडिया ने एक निःशुल्क वेबिनार आयोजित किया।
फीटल बॉवाइन सीरम (FBS) मांस उपभोग के लिए गर्भवती गायों के वध के दौरान एक उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त किया जाता है। अजन्मे बछड़ों के धड़कते दिलों से खून निकालने के लिए मोटी सुई का इस्तेमाल किया जाता है। हर साल दुनियाभर में लगभग 6 लाख लीटर FBS – जो लगभग 18 लाख गोवंश भ्रूणों से निकाला जाता है – का उत्पादन होता है। दशकों से यह उप-उत्पाद प्रयोगशालाओं में पेट्री डिश में कोशिकाएं उगाने में मदद के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
कोशिकाएं उगाने की यह पुरानी विधि कई वैज्ञानिक समस्याएं पैदा करती है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक बैच का FBS अगले बैच से भिन्न होता है, जिससे अप्रत्याशित या अवांछित परिणाम सामने आ सकते हैं।
पशु-मुक्त समाधानों पर काम करने वाले उद्योग के विशेषज्ञों ने वेबिनार में एक अहम संदेश दिया: पशु-आधारित सेल कल्चर मीडिया को छोड़ना ही सही और आधुनिक विज्ञान है। इस बदलाव से न केवल परीक्षणों के परिणाम अधिक दोहराने योग्य और भरोसेमंद होंगे, बल्कि इन विट्रो परीक्षण, कल्टीवेटेड मीट और वैक्सीन उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी कार्यक्षमता और प्रभावशीलता में वृद्धि होगी।
यह वेबिनार, वैज्ञानिक जगत से FBS को पूरी तरह समाप्त करने के लिए PETA के वैज्ञानिकों द्वारा चलाए जा रहे वैश्विक प्रयासों की एक नवीनतम कड़ी था। हाल ही में भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) ने एक मसौदा दस्तावेज़ पर हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं, जिसमें FBS और अन्य पशु-आधारित उत्पादों के स्थान पर गैर-पशु विकल्पों के उपयोग का समर्थन किया गया है। इन उत्पादों का आमतौर पर मानव वैक्सीन के निर्माण में उपयोग होता है। अंतिम रूप मिलने के बाद यह नीति IPC को उन वैश्विक नियामक और वैज्ञानिक संस्थाओं की बढ़ती सूची में शामिल कर देगी, जो कोशिका संवर्धन के लिए रासायनिक रूप से परिभाषित, पशु-मुक्त मीडिया के उपयोग का समर्थन करती हैं — जैसे ऑर्गनाइज़ेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डिवेलपमेंट (OECD) और यूरोपियन यूनियन रेफरेंस लेबोरेटरी फॉर ऑल्टरनेटिव्स टू एनिमल टेस्टिंग।
PETA इंडिया के वैज्ञानिक शोधकर्ताओं को लगातार प्रोत्साहित करते रहेंगे कि वे FBS का उपयोग बंद करें और इसकी जगह गैर-पशु विकल्पों को अपनाएं।
उन्नत विज्ञान के पक्ष में आवाज़ उठाएं!
वैज्ञानिकों के लिए निःशुल्क कार्यशालाएं, वेबिनार और प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने से लेकर, नियामक स्तर पर गैर-पशु परीक्षण विधियों को बेहतर बनाने और लागू करने तक — PETA इंडिया के वैज्ञानिक वह सब कुछ करते हैं जो सभी जीवों के हित में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी है। लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सभी जीवों के लिए लाभकारी आधुनिक विज्ञान का समर्थन करने के इस प्रयास में PETA इंडिया के साथ जुड़ें।
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