PETA इंडिया की शिकायत के बाद गाजियाबाद में अवैध डॉगफाइटिंग के खिलाफ FIR दर्ज की गई

Posted on by Erika Goyal

पिटबुल प्रजाति के कुत्तों के बीच जबरन लड़ाई को दर्शाने वाले कई वीडियो पोस्ट करने वाले एक सोशल मीडिया अकाउंट के बारे में जानकारी प्राप्त होने के बाद, PETA इंडिया ने अंकुर विहार पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। PETA इंडिया को अपनी जांच से पता चला था कि यह सभी वीडियो लोनी, गाजियाबाद में बनाई गयी हैं। इसके बाद, इस प्रकार की लड़ाइयों के आयोजकों एवं कुत्ता मालिकों के खिलाफ़ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 34, 289, 336 और 429 एवं पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 3 और 11 (1) (ए) के तहत मामला दर्ज़ किया गया है। PETA द्वारा इन वीडियो में इस्तेमाल किए गए कुत्तों का पता लगाने एवं उन्हें शोषण और पीड़ा से बचाने का आग्रह भी किया गया है।

भारत में, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत कुत्तों को लड़ने के लिए उकसाना गैरकानूनी है। फिर भी भारत के कुछ हिस्सों में संगठित कुत्तों की लड़ाई प्रचलित है, जिससे इन लड़ाइयों में इस्तेमाल होने वाले पिटबुल प्रजाति व उनके जैसे अन्य प्रजाति के कुत्ते सबसे अधिक दुर्व्यवहार से पीड़ित नस्ल हैं। पिट बुल को आम तौर पर अवैध लड़ाई में इस्तेमाल करने के लिए पाला जाता है या हमलावर कुत्तों के रूप में जंजीरों से बांधकर रखा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वह जीवन भर पीड़ा सहते हैं।  इन कुत्तों को तब तक लड़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जब तक कि वे थक न जाएँ और कम से कम दोनों कुत्तों में से जबतब एक गंभीर रूप से घायल न हो जाए या मर न जाए। पिटबुल और संबंधित नस्लें भारत में सबसे अधिक त्याग दिए जाने वाले कुत्तों की नस्लें हैं।

हाल ही में, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के संयुक्त सचिव, डॉ ओ पी चौधरी जी ने समस्त राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर स्थानीय निकायों, पशुपालन विभाग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि जानबूझकर आक्रामकता के लिए पाले गए और आमतौर पर कुत्तों की अवैध लड़ाईन्यों (डॉग फ़ाईट्स) के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पिटबुल और अन्य नस्लों के कुत्तों की बिक्री, प्रजनन और पालन के लिए कोई लाइसेंस या अनुमति जारी न की जाए। पशुपालन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा ऐसी नस्ल के कुत्ते के आयात पर भी रोक लगाने की सिफारिश की गई है। PETA इंडिया इस फैसले की सराहना करता है और उम्मीद करता है कि सभी राज्य सरकारें केंद्र की सिफारिशों का पालन करेंगी।

पत्र में डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग रूल्स, 2017 और पेट शॉप रूल्स, 2018 को लागू करने का भी आह्वान किया गया था। अधिकांश पालतू पशुओं की दुकानें और प्रजनक अवैध हैं, क्योंकि वे संबंधित राज्यकीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्डों के साथ पंजीकृत नहीं हैं। वे आमतौर पर कुत्तों को उचित पशु चिकित्सकीय देखभाल और पर्याप्त भोजन, व्यायाम, स्नेह और समाजीकरण के अवसरों से भी वंचित करते हैं। जिन लोगों के पास अपने घर में कुत्ते को रखने के लिए समय, धैर्य, प्यार और संसाधन हैं, PETA इंडिया ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करता है वे किसी पशु आश्रय से या सड़कों पर जीवन यापन करने वाले भारतीय देसी नस्ल के कुत्तों को गोद लें।

कुत्तों को खरीदने के बजाय उन्हें गोद लेने की शपथ लें!