असम की हथिनी जेमाल्याथा के साथ तमिलनाडु के श्रीविल्लीपुथुर मंदिर में मारपीट की दूसरी वीडियो वायरल होने के बाद PETA इंडिया ने हथिनी के तात्कालिक पुनर्वास की मांग की

Posted on by Erika Goyal

श्रीविल्लीपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर के परिसर में जेमाल्याथा नामक हथिनी की महावत द्वारा बुरी तरह पीटे जाने की दूसरी वीडियो वायरल होने के बाद, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने असम और तमिलनाडु के चीफ़ वाइल्डलाइफ वार्डन को तत्काल अपील भेजकर उनसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम WPA), 1972 को लागू करने और शोषित हथिनी को किसी अभयारण्य में पुनर्वासित करने का आग्रह किया, जहां वह अपना जीवन मार-पीट और जंजीरों से मुक्त शांतिपूर्ण ढंग से व्यतीत कर सके।

इस पत्र में, चीफ़ वाइल्डलाइफ वार्डन से WPA और तमिलनाडु कैदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम, 2011 का उल्लंघन करने के लिए महावत के खिलाफ FIR दर्ज करने का भी आग्रह किया गया। हाल ही में वायरल हुए वीडियो में, असहाय हथिनी को जंजीर से कसकर बंधे दर्द से चिल्लाते हुए देखा जा सकता है और महावत  उसे लगातार केन से पीट रहा है। यह हथिनी असम सरकार की है लेकिन WPA का उल्लंघन करते हुए इसे लीज समझौते समाप्त होने के बाद भी तमिलनाडु के मंदिर में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

हाल ही में वायरल हुए वीडियो में, असहाय हथिनी को जंजीर से कसकर बंधे दर्द से चिल्लाते हुए देखा जा सकता है और महावत  उसे लगातार केन से पीट रहा है। यह हथिनी असम सरकार की है लेकिन WPA का उल्लंघन करते हुए इसे लीज समझौते समाप्त होने के बाद भी तमिलनाडु के मंदिर में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। फरवरी 2021 में सामने आए पहले वीडियो में, जयमाल्यथा को एक रेजुवनेशन कैंप में पीटा गया था जिसके बाद, तमिलनाडु के हिन्दू द्वारा दो महावतों को निलंबित किया गया। वन विभाग ने इन पर तमिलनाडु कैदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम, 2011 के नियम 13 और WPA की धारा 51 के तहत मामला दर्ज किया।

कैद में हाथियों के साथ होने वाले शोषण के चलते, माननीय मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु राज्य सरकार को हाथियों के स्वामित्व से संबन्धित एक नीति बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट के अनुसार, सभी प्रकार के हाथी (जिसमें निजी स्वामित्व या मंदिर स्वामित्व वाले हाथी शामिल हैं) वन विभाग की देखरेख में आने चाहिए और भविष्य में हाथियों के निजी स्वामित्व को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय जनमत हाथियों को बंदी बनाने की प्रथा का तेजी से विरोध कर रहा है।

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