दर्जनों हाथियों ने क्रूर हाथी-सवारी पर रोक की मांग की

Posted on by PETA

PETA इंडिया एवं युवा संस्था ‘इनायत’ के लगभग तीन दर्जन सदस्यों ने जयपुर में हाथी का मुखौटा पहनकर एवं जंजीरों में जकड़कर, हवा में लाल रंग उड़ाकर हाथी सवारी हेतु इस्तेमाल हो रहे हाथियों की रिहाई की मांग की। प्रदर्शन के दौरान हवा में उड़ाया गया लाल रंग हाथियों के उस खून का संकेतक है जो आमेर के किले पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए जबरन व अवैध हाथी सवारी कराये जाने हेतु इन हाथियों को क्रूर एवं बर्बर यातनाएं देकर प्रशिक्षित किया जाता है।

हाथी सवारी हेतु इस्तेमाल होने वाले हाथियों को छोटी उम्र में ही जंगलों से उनकी माताओं से चुराकर लाया जाता है व क्रूर एवं यातना भरे तरीकों से प्रशिक्षित करके, उन्हें पहाड़ों पर पर्यटकों की भारी भरकम सवारी कराने हेतु मजबूर किया जाता है भले ही वो दृष्टि बाधित हो अथवा संक्रामक बीमारियों से पीड़ित हों। PETA इंडिया सभी पर्यटकों से अनुरोध करता है की वो जयपुर में अथवा भारत में कहीं भी घूमने जाएँ तो हाथी सवारी न करें

आप इस वीडियो के देखें और बताएं की क्या आपका कुछ पल की हाथी-सवारी करना उनके दर्द सहने से ज्यादा जरूरी है ?

प्रायः महज़ 2 वर्ष की उम्र के छोटे हाथियों को जंगलों में से उनकी माताओं से छीनकर, रस्सियों व भारी जंजीरों की मदद से पेड़ो के साथ बांधकर जिससे की उनके पैरों में ज़ख्म बन जाते है या फिर लकड़ी की पिंजरों जिनको क्राल बोलते हैं में बंदी बनाकर रखा जाता है। इसके बाद इन हाथियों के साथ बर्बरता का दौर शुरू होता है जब प्रशिक्षक इन बंदी हथियों को तब तक नियमित रूप से नुकीले हथियार व अंकुशों से यातनाएं देते रहते हैं जब तक की उनके अंदर विरोध करने व लड़ने का साहस समाप्त नहीं हो जाता। प्रशिक्षक इन हाथियों को हाथी सवारी एवं अन्य करतबों के लिए आजीवन नुकीले व धारदार औजारों से क्रूर यतनाएं देकर प्रताड़ित करते रहते हैं।

पिछले वर्ष भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा जयपुर में बंदी हाथियों पर की गयी एक जांच रिपोर्ट में पाया गया था कि आमेर के किले पर हाथी सवारी हेतु इस्तेमाल होने वाले अधिकांश हाथी दृष्ठिबधित हैं, कुछ में टीबी वायरस सकारात्मक पाया गया था जो कि इन्सानों में भी हस्तांतरित हो सकता है, इन हाथियों से पहाड़ों पर अधिकतम भार ढोने की सीमा 200 किलोग्राम से भी अधिक भार ढुलवाया जा रहा था। इसके अलावा हाथी सवारी भी पूर्णतया अवैध है क्यूंकि इनमे से कोई भी हाथी इस प्रकार की सवारी कराये जाने हेतु “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड” के साथ पंजीकृत नहीं है जो पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत कार्यरत ‘वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972’ की अनेकों धाराओं का उल्लंघन है तथा राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2010 में जारी किए गए उस निर्देश की भी अवहेलना है जिसमे कहा गया था की हाथियों को किसी भी प्रकार के प्रदर्शन में इस्तेमाल करने से पहले उन्हे ‘भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड’ के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य है और हाथी सवारी भी इस प्रदर्शन के अंदर ही आती है।

इससे पहले इसी वर्ष, 44 नंबर हथिनी जिसे मालती के नाम से जाना जाता है, को उसके देखभाल कर्ताओं द्वारा सरेआम पीटा गया था और महज़ दो माह के अंदर उसकी पिटाई की यह दूसरी घटना थी। मालती ने तप्ति गर्मी में पर्यटकों को सवारी कराने में असमर्थत्ता प्रकट की थी जिसके एवज में उसे बुरी तरह पीटा गया था। यह घटना संज्ञान में आने पर PETA इंडिया ने तत्काल कार्यवाही करते हुए राजस्थान सरकार के वन एव पर्यावरण मंत्री श्री सुखराम विशनोई जी को पत्र लिखकर उस हाथी की रिहाई की मांग की थी जिस पर मंत्री जी ने राजस्थान के मुख्य वन्यजीव वार्डन को निर्देशित किया था कि वो उस हाथी को जब्त कर उसे पुनर्वास केंद्र भेजे जाने हेतु कठोर कार्यवाही सुनिश्चित करें।

100 से अधिक ट्रेवल कंपनियाँ जिनमे वैश्विक स्तर पर काम करने वाली कंपनी TripAdvisor, द ट्रेवल कॉर्पोरेशन, इंटरपिड ट्रैवल, स्मार टूर्स, STA ट्रैवल व TUI ग्रुप शामिल हैं, ने टूर्स प्लान में पर्यटकों को बताए जाने वाली आकर्षक योजनाओं में से हाथियों का शोषण करने वाली गतिविधियों को हटा लिया है।

आप भी मदद कर सकते हैं

PETA इंडिया का साथ देकर क्षेत्र में होने वाली हाथी सवारी का विरोध कर आप पीड़ा एवं दर्द सह रहे हाथियों की रक्षा करने में अपना सहयोग प्रदान कर सकते हैं।

कार्यवाही करें।