PETA इंडिया की याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सर्कसों में पशुओं के प्रयोग को प्रतिबंधित करने हेतु अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया

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PETA इंडिया द्वारा दायर जनहित याचिका में न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने केंद्र सरकार को सर्कस में जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के अपने प्रस्ताव के बारे में चार सप्ताह के भीतर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया। इसे पहले सरकार द्वारा Performing Animals (Registration) (Amendment) Rules, 2018 के मसौदे को अधिसूचित किया गया था और इस पर सार्वजनिक टिप्पणियां प्राप्त की थीं। अदालत ने कहा कि नियमों को अधिसूचित करने में देरी से जानवरों की भलाई और सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

अदालत ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) को उन सभी सर्कसों का सर्वेक्षण करने का भी निर्देश दिया, जिनका AWBI के साथ पंजीकरण नवीनीकृत नहीं हुआ है और आठ सप्ताह के भीतर उनके द्वारा रखे गए जानवरों की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करने का भी आदेश दिया गया। AWBI “पशु क्रूरता निवारण” (PCA) अधिनियम, 1960 के तहत निर्धारित प्राधिकरण है, और प्रदर्शन के लिए जानवरों के उपयोग को नियंत्रित करता है। अदालत ने निर्देश दिया कि AWBI सर्वेक्षण के दौरान याचिकाकर्ता, PETA इंडिया एवं अन्य प्रतिनिधियों को शामिल करें।

 

अदालत ने यह भी कहा कि यह AWBI का दायित्व है कि जब कोई व्यक्ति या संगठन उचित प्राधिकरण के बिना किसी जानवर को कैद करता पाया जाए तो यह मुद्दा स्थानीय सरकारों एवं जिला मजिस्ट्रेटों के समक्ष उठाया जाए ताकि इन जानवरों को ज़ब्त करके उचित देखभाल प्रदान की जा सके। अदालत ने पाया कि PCA अधिनियम की धारा 32 के तहत स्थानीय पुलिस को जानवरों की तलाश करने और उन्हें जब्त करने का अधिकार है। PETA इंडिया की ओर से पेश हुए वकील डॉ अमन हिंगोरानी ने कहा कि संगठन ने पहले ही स्वेच्छा से अपने नेटवर्क का प्रयोग करके ऐसे सभी जानवरों का पुनर्वास किया है।

AWBI द्वारा हाल ही में दायर किए गए हलफनामे के आधार पर, अदालत ने पाया कि भारत में संचालित और लाइसेंस प्राप्त सर्कस में से केवल चार या पांच सर्कसों ने अपने लाइसेंस का नवीनीकरण किया है। अन्य सर्कस ने अपने पास रखे जानवरों के बारे में पूर्ण प्रकटीकरण की आवश्यकता का अनुपालन नहीं किया है, और उनके लाइसेंस के नवीनीकरण की अनुमति नहीं दी गई है। AWBI का कहना है कि वह उन सर्कस के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है जिनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया है या नवीनीकृत नहीं किया गया है। इन सभी सर्कसों को जानवरों का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है।

AWBI ने केंद्र सरकार को वर्ष 2017, 2019 और 2020 में सर्कस में जानवरों के उपयोग को समाप्त करने के लिए कानून पारित करने की सलाह दी थी। पिछले साल, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने ग्रेट गोल्डन सर्कस की मान्यता रद्द कर दी थी, जो ऐसा एकमात्र सर्कस है जो अभी भी संरक्षित जंगली जानवर अर्थात्, “हाथी” का प्रदर्शन के लिए उपयोग कर रहा है।

सर्कसों में मनोरंजन हेतु जानवरों का प्रयोग बहुत ही क्रूर प्रथा है जिसके कारण जानवरों को तंग पिंजरों में जंजीरों से कैद रखा जाता है और उन्हें हर प्रकार की पशुचिकित्सकीय सेवाओं से वंचित रखते हुए भूखा-प्यासा रहने के लिए मज़बूर किया जाता है। उनके प्राकृतिक उत्थान को पूर्ण रूप से बाधित किया जाता है और उनसे जबरन मुश्किल, असहज और कष्टदायी करतब कराए जाते हैं। ऐसी तनावपूर्ण परिस्थितियों में रहने के कारण कई जानवरों में ख़तरनाक मानसिक बीमारियों के लक्षण देखने को मिलते हैं।

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