बाल दिवस- जलवायु संकट के मद्देनजर मुर्गी के नन्हें बच्चों एवं बछड़ों द्वारा वीगन बनने की अपील

Posted on by Krithika Pradeep

बाल दिवस (14 नवंबर) और विश्व वीगन माह के अवसर पर, वाईज़ रूट्स वर्ल्ड स्कूल की तरफ से PETA इंडिया के युवा सदस्यों ने मुर्गी के बच्चों (चिक) और बछड़े की वेशभूषा पहनकर पुणे में एक विशाल ग्लोब के सामने एकत्र होकर आते जाते राहगीरों को संदेश दिया कि “इससे पहले की बहुत देर हो जाए, कृपया पृथ्वी को बचाने की खातिर वीगन बनें।”

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि विश्वभर में मानव द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की तुलना में पशु कृषि (मांस, अंडे और डेयरी के लिए जानवरों को पाला जाना) एवं उन पर होने वाला परिवहन अधिक मात्रा में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का जिम्मेदार है और संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी भी दी है कि जलवायु संकट के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर शाकाहारी भोजन भोजन अपनाने की सख्त आवश्यकता है। एक अन्य अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि मांस, अंडे और डेयरी उत्पादों की बढ़ती खपत दुनिया के अधिकांश पौधों एवं जानवरों के जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित हो सकती है। इन उद्योगों में पशुओं के पालन पोषण हेतु भूमि के बड़े हिस्से एवं भारी मात्र में फसलों को उगाना पड़ता है। वह प्रत्येक व्यक्ति जो वीगन जीवन शैली अपना लेता है वह ऐसा करके वनों की कटाई को रोकने में मदद करने के साथ साथ प्रति वर्ष लगभग 200 जानवरों की जिंदगी बचाने में भी अपने योगदान देता है।

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