PETA इंडिया की अपील के बाद केंद्र सरकार ने बधियाकरण एवं अन्य पशुपालन प्रक्रियाएं के दर्द को कम करने के लिए नए नियमों को अधिसूचित किया

Posted on by Shreya Manocha

PETA इंडिया द्वारा पशुपालन प्रक्रियाओं में सुधार हेतु वर्षों की अपील और प्रयासों के बाद, केंद्र सरकार द्वारा “पशु क्रूरता निवारण (पशुपालन प्रथाएं और प्रक्रियाएं) नियम, 2023” को अधिसूचित किया है। इस नियम के अंतर्गत बैल, घोड़ों और अन्य जानवरों के बधियाकरण एवं इसके सामान अन्य प्रक्रियाएं के दौरान एक पंजीकृत पशु चिकित्सक की उपस्थिति अनिवार्य है और इसके लिए मौजूदा प्रचलित दर्दनाक तरीकों के बजाय जनरल एवं लोकल एनेस्थेटिक्स का प्रयोग भी आवश्यक है। वर्तमान में, बधियाकरण के दौरान पशुओं की रक्त की आपूर्ति को रोकने एवं अंडकोष को क्षीण करने के लिए और वृषण से जुड़ी रक्त वाहिकाओं, तंत्रिकाओं और शुक्रवाहिका नलियों को कुचलने के लिए बिना किसी दर्द निवारक का प्रयोग किए बुर्डिज़ो कैस्ट्रेटर का उपयोग किया जाता है। इस नियम के अंतर्गत पशुओं के सींग निकालने के बजाय पोल्ड (स्वाभाविक रूप से सींग रहित) मवेशियों के प्रजनन, नोज रोपिंग के बजाय हॉल्टर सहित अन्य मानवीय तरीकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया है। इनके अनुसार, जीवित ऊतकों पर ठंडे और गर्म ब्रांडिंग के प्रयोग को प्रतिबंधित किया गया है एवं बीमार पशुओं की पीड़ा को समाप्त करने के लिए मुक्ति की एक स्पष्ट प्रक्रिया को निर्धारित किया गया है।

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (PCA), 1960 की धारा 11 के अंतर्गत पशु क्रूरता को वर्णित किया गया है लेकिन इस अधिनियम की उप-धारा 3 में कुछ अपवाद प्रदान किए गए है जिनके अनुसार निर्धारित तरीके का पालन करने पर कई पशुपालन प्रक्रियाओं को क्रूर नहीं माना जाता है, जिसमें मवेशियों का सींग निकालना और बधियाकरण, ब्रांडिंग, और किसी भी जानवर की नाक को रस्सी से बांधना शामिल है। इसके अलावा, उप-धारा 3(C) के अंतर्गत, “तत्समय प्रवृत्त किसी कानून के प्राधिकार के अधीन किसी पशु को विनष्ट करना” एक अपवाद है। सरकार द्वारा PCA अधिनियम, 1960 के तहत मवेशियों और अन्य जानवरों हेतु दर्दनाक पशुपालन प्रक्रियाओं और मुक्ति के लिए “निर्धारित तरीके” को परिभाषित करने का सरकारी निर्णय भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड एवं पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा जारी सलाह, PETA इंडिया द्वारा की गई अपील और दिल्ली उच्च न्यायालय में समूह द्वारा दायर एक जनहित याचिका के अनुरूप है।

इन नियमों के अंतर्गत मुक्ति (पशुओं के लिए शांतिपूर्ण मृत्यु) की पूरी प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है जिसका प्रयोग PCA अधिनियम, 1960 के अनुसार ऐसी स्थितियों में किया जाता है जब पशुओं को जीवित रखना क्रूरता हो। इस प्रक्रिया के अनुसार, जानवरों के जीवनसूचक संकेतों को समाप्त करने से पहले उन्हें बेहोस करना अनिवार्य है जिससे उन्हें किसी प्रकार के दर्द या पीड़ा की अनुभूति न हो। वर्तमान में, पशुओं को मुक्ति देने के कई क्रूर तरीके प्रचलन में हैं जिसमें सचेत  जानवरों को ऐसे रसायन इंजेक्ट करना शामिल है जो दर्दनाक रूप से दिल और फेफड़ों के काम को बंद कर देते हैं। इसी तरह कई बार जानवरों को प्लास्टिक की थैलियों से दम घोंटकर मार दिया जाता है, जिंदा दफन कर दिया जाता है या जला दिया जाता है।

इन अधिसूचित नियमों का पालन न करना PCA अधिनियम, 1960 की धारा 11, 12 और 13 के तहत दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।

 

 

पशुपालन विभाग का बहुत-बहुत धन्यवाद!