PETA इंडिया के अनुरोध पर एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने ईद अल-अज़हा से पहले जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने हेतु नई एडवाइजरी ज़ारी की

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया की अपील के बाद, केंद्र सरकार की वैधानिक संस्था एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया (AWBI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक नई एडवाइजरी जारी की, जिसमें अधिकारियों से ईद-उल-अज़हा से पहले जानवरों के साथ होने वाले अवैध और क्रूर व्यवहार को रोकने हेतु कदम उठाने का अनुरोध किया गया है।

एडवाइजरी में AWBI ने इंगित किया है कि “पशु परिवहन नियम, 1978” में एक वाहन में परिवाहित किए जाने वाले जानवरों की संख्या का निर्धारण किया गया है जिसका आमतौर पर उल्लंघन किया जाता है और ईद के दौरान बड़ी संख्या में जानवरों को गाड़ियों में ठूस ठूस कर भरा जाता है। इस एडवाइजरी में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (बूचड़खाना) नियम, 2001 का भी उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार “किसी भी व्यक्ति को नगरपालिका क्षेत्र के भीतर कानून के तहत अधिकृत एवं संबंधित प्राधिकरण द्वारा मान्यता प्राप्त या लाइसेंस प्राप्त बूचड़खाने को छोड़कर अन्य स्थानों पर जानवरों की हत्या करने की अनुमति नहीं है”। इसके अलावा, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के नियमन के तहत ऊंटों की कुर्बानी देना भी अवैध है।

एडवाईजरी में सुप्रीम कोर्ट के 2014 के उस फैसले का भी जिक्र किया गया है, जिसमें कानून प्रवर्तन अधिकारियों सहित राज्य की सभी एजेंसियों और इकाइयों को पशु संरक्षण कानूनों के कार्यान्वयन का निर्देश दिया गया था। AWBI ने बूचड़खानों और मांस की दुकानों हेतु नियामक अनुपालन के संबंध में राज्य सरकारों को 30 मई 2022 को जारी की गयी अपनी पुरानी सलाह का भी उल्लेख किया है।

पशु क्रूरता निवारण (बूचड़खाना) नियम, 2001 और खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियम, 2011 के तहत, भोजन के लिए जानवरों के वध की अनुमति केवल पंजीकृत या लाइसेंस प्राप्त बूचड़खाने में है। आमतौर पर पशु की कुर्बानी हेतु उपयोग की जाने वाली जगहों को न तो पंजीकृत किया जाता है और न ही उन आवश्यक सुविधाओं से लैस किया जाता है, जो पशुओं की पीड़ा को कम करने के लिए कानून के तहत अनिवार्य हैं।

PETA इंडिया ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 28 को हटाने के लिए पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला जी से अपील की है। कुर्बानी दिए जाने वाले जानवरों को अक्सर जरूरी बुनियादी सुरक्षा से वंचित रखा जाता है। अधिनियम की धारा 28 के अनुसार, “किसी भी समुदाय के धर्म/मजहब के हिसाब से किसी भी जानवर की हत्या करना इस अधिनियम में अपराध नहीं माना जाएगा”

वर्तमान में बहुत से वीगन एवं शाकाहारी मुसलमान ईद-अल-अज़हा को अनेक दयालु तरीकों से मनाते हैं जिसमें जानवर सहित सभी ज़रूरतमंद प्राणियों की सहायता करना भी शामिल है।

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