जैसा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को विदेशी पिटबुल जैसे कुत्तों की नस्लों पर प्रतिबंध लगाने वाले परिपत्र की फिर से जांच करने का निर्देश दिया है, PETA का कहना है कि नया परिपत्र अवैध डॉगफाइट्स और हमलों को रोकने में और भी मजबूत होना चाहिए।

Posted on by Erika Goyal

10 अप्रैल 2024 को, कर्नाटक उच्च न्यायालय के एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एम नागप्रसन्ना ने रिट पेटीशन संख्या 8409/2024 – श्री किंग सोलोमन डेविड और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य में आदेश सुनाते हुए दिनांक 12 मार्च 2024 को केंद्र सरकार द्वारा जारी उस परिपत्र को रद्द कर दिया है जिसमे अवैध डॉगफाइट्स या हमले के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले पिट बुल और कुछ अन्य विदेशी कुत्तों की नस्लों के आयात, प्रजनन (क्रॉस-ब्रीडिंग सहित), और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी, बावजूद इसके कि यह याचिका एक गैर पंजीकृत और अवैध ब्रीडर के द्वारा दायर की गई है।

अदालत ने कहा कि नया सर्कुलर जारी करने से पहले व्यापक हितधारकों से परामर्श किया जाना चाहिए। PETA इंडिया ने इससे पहले उच्च न्यायालय के समक्ष केंद्र के परिपत्र के समर्थन में मजबूत दलीलें दायर की थीं, जिसमें बताया गया था कि यह जनता, पिटबुल और अन्य कुत्तों की नस्लों के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है।

केंद्र सरकार को सर्कुलर को दोबारा तैयार करने या फिर से जारी करने के संबंध में PETA इंडिया से परामर्श करने का निर्देश दिया गया है। PETA इंडिया केंद्र सरकार से यह आग्रह करेगा कि अब इस अवसर का लाभ उठाते हुए इन बेबस कुत्तों की नस्लों की रक्षा के लिए इस परिपत्र को और अधिक मजबूती से पेश करे क्यूंकि इन प्रजातियाँ को बड़े पैमाने पर सिर्फ दुर्व्यवहार सहने के लिए ब्रीड किया जाता है, और साथ ही साथ नागरिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।

The Truth About Dogfights from officialPETAIndia on Vimeo.

कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष दायर आवेदन में PETA इंडिया ने उल्लेखित किया कि भारत में, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत कुत्तों को लड़ने के लिए उकसाना गैरकानूनी होने के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में संगठित कुत्तों की लड़ाई प्रचलित है, जिससे इन लड़ाइयों में इस्तेमाल होने वाले पिटबुल प्रजाति व उनके जैसे अन्य प्रजाति के कुत्ते सबसे अधिक दुर्व्यवहार से पीड़ित नस्ल हैं। पिट बुल को आम तौर पर अवैध लड़ाई में इस्तेमाल करने के लिए पाला जाता है या हमलावर कुत्तों के रूप में जंजीरों से बांधकर रखा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वह जीवन भर पीड़ा सहते हैं। कई कुत्ते दर्दनाक शारीरिक विकृति का सामना करते हैं जैसे कि उनके कान काट देना। यह इसलिए किया जाता है कि लड़ाई के दौरान विपक्षी कुत्ता उनको कान से पकड़ कर न हरा दे। इन कुत्तों को तब तक लड़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जब तक कि वे थक न जाएँ और कम से कम दोनों कुत्तों में से जबतब एक गंभीर रूप से घायल न हो जाए या मर न जाए। कुत्तों की लड़ाइयाँ गैरकानूनी होने के कारण इन्हें समय रहते पशु चिकित्सकों के पास लेकर भी नहीं जाया जाता है।

भारत में, 80 मिलियन कुत्ते और बिल्लियाँ अपना जीवन सड़कों पर व्यतीत कर रहे हैं और पशु आश्रयों में भी अत्यधिक भीड़ है। इसी के साथ-साथ भारतीयों द्वारा पिटबुल और इससे संबंधित नस्लों का सबसे अधिक त्याग किया जाता है। ब्रीडर्स द्वारा खरीदारों को इस संदर्भ में अवगत नहीं कराया जाता है कि इस नस्ल के कुत्तों का UK में कुत्तों के चयनात्मक प्रजनन के माध्यम से डॉगफाइट्स और हमले  हेतु प्रयोग करने के लिए वांछनीय विशेषताओं को बढ़ाने हेतु प्रजनन किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप यह बहुत ही आक्रामक होते हैं, इनके जबड़े असामान्य रूप से मजबूत होते हैं और इनकी मांसपेशियों अत्यंत ताकतवर होती हैं। ब्रिटेन में, वर्ष 1835 में कुत्तों की लड़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और पिट बुल और इसी तरह की नस्लों को अब वहां और कई अन्य देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन लेकिन भारत में आज भी इन पशुओं का शोषण ज़ारी है।

15 साल की अवधि में, अमेरिका में कुत्तों से होने वाली मौतों में 66% (346) ऐसी मौतें थी जो पिटबुल प्रजाति के कारण हुई थी। जबकि 76% मौतें पिटबुल और रॉटवीलर के द्वारा हुई थी। भारत में पिट बुल और संबंधित नस्लों द्वारा हमलों की बहुत सी घटनाएं हो रही हैं। ठीक एक महीने पहले, दिल्ली में एक पिट बुल द्वारा काटे जाने के बाद एक बच्ची को 17 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसका पैर तीन जगहों से टूट गया था। इसके अलावा कुछ हफ़्ते पहले, एक व्यक्ति ने राजधानी में अपने पड़ोसी पर हमला करने के लिए अपने पिटबुल को उकसाया था। एक सप्ताह पहले गाजियाबाद में एक पिटबुल ने दस साल के बच्चे को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। वहीं दिसंबर में हरिद्वार में एक 70 वर्षीय महिला को पिट बुल ने गंभीर रूप से घायल कर दिया था। एक चर्चित मामले में लखनऊ में एक जिम मालिक के पिटबुल ने उसकी ही मां की जान ले ली थी।

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