आंध्र प्रदेश पुलिस ने PETA इंडिया के साथ मिलकर ऊंटों की जान बचाई

Posted on by Erika Goyal

यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि अनंतपुर में मांस के लिए एक ऊंट का वध किया जाना है और गूटी शहर में वितरित पर्चों के अनुसार इस ऊंट का मांस 16 जनवरी को बेचा जाएगा, PETA इंडिया ने आंध्र प्रदेश जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (APAWB) के सदस्य Md इदरीस, अनंतपुर के पुलिस अधीक्षक और गूटी पुलिस के साथ मिलकर कार्यवाही करी एवं इस ऊंट की जान बचाई। इस मामले में, पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 11 एवं 26 के तहत FIR दर्ज़ किया गया है। पुलिस द्वारा इस ऊंट को समय रहते बचा लिया गया और सुरक्षा कारणों से एक स्थानीय गौशाला ले जाया गया। पूरी कार्यवाही के दौरान, आरोपी मालिक ने ऊंट को सौंप दिया। इसके बाद, PETA इंडिया के मीट अशर, Md इदरीस, और स्थानीय पशु संरक्षण कार्यकर्ता चैतन्य राजशेखर ने इस ऊंट को एक प्रतिष्ठित अभयारण्य में पुनर्वासित कराने हेतु कार्य किया।

 

इस बीच, कुरनूल में इसी तरह की एक घटना में, 2 फरवरी को ऊंट के मांस की उपलब्धता का विज्ञापन करने वाला एक बैनर उस्मानिया कॉलेज के सामने लगाया गया था। PETA इंडिया ने ऊंटों के वध को रोकने के लिए एक बार फिर MD इदरीस और स्थानीय पशु संरक्षण कार्यकर्ता शेख अब्दुल शारुक के साथ काम किया। PETA इंडिया ने मांस के लिए ऊंटों का वध करने की योजना बनाने वाले अपराधियों के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए कुरनूल के पुलिस अधीक्षक और टाउन 1 पुलिस स्टेशन से संपर्क किया। टाउन 1 पुलिस स्टेशन ने ऊंट के मांस के व्यापार में शामिल दो अपराधियों के खिलाफ़ भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 109, 429, 289, और 269 धारा 511 के साथ पठित; PCA अधिनियम, 1960 की धारा 11(1) और 38(3), पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण (वधगृह) नियम, 2001 के साथ पठित; और राजस्थान ऊंट (वध का निषेध और अस्थायी प्रवासन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम, 2015 की धारा 5 के खिलाफ़ मामला दर्ज़ किया है। मामले से संबंधित सभी ऊंटों की ख़ोज अभी जारी है जिससे इन्हें भी पुनर्वासित किया जा सके।

खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 के अनुसार, मांस के लिए केवल भेड़, सूअर, बकरी, मुर्गी, मछली और खरगोशों को मारने की अनुमति है, ऊंटों को नहीं। इसके अलावा, पशु क्रूरता निवारण (वधशाला) नियम, 2001 और खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियम, 2011 के तहत, भोजन के लिए जानवरों का वध केवल पंजीकृत या लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में ही स्वीकार्य है। जानवरों को मारने से पहले बेहोश करने के लिए विभिन्न प्रजाति-विशिष्ट तरीके भी उपलब्ध हैं।

पशु शोषणकारियों के खिलाफ़ मज़बूत दंड प्रावधान लाने में हमारी सहायता करें

जब भी जानवरों पर क्रूरता होते हुए देखें तो निम्नलिखित 9 बातों का ध्यान रखें