शत्रुघन सिन्हा ने भारतीय मेडिकल काउंसिल से आग्रह किया है की स्नातकोत्तर छात्रों के शिक्षण में जीव जंतुओं का इस्तेमाल बंद किया जाए
PETA इंडिया द्वारा संपर्क किए जाने के बाद, प्रतिष्ठित सांसद व पूर्व स्वास्थ मंत्री शत्रुघन सिन्हा ने भारतीए मेडिकल काउंसिल की अध्यक्षा डॉ जयश्री मेहता को पत्र लिखा है जिसमे उन्होने बेहतर व दयालु शिक्षा की तरफदारी करते हुए स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में पशु विच्छेदन व जीव जंतुओं पर प्रयोग किए जाने पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। पत्र में उन्होने प्रभावी विकल्पों को अपनाने की सलाह दी है जिनमे कम लागत वाली कम्प्यूटर आधारित शिक्षा, क्लिनिकल अभ्यास व मानव-रोगी सिम्युलेशन प्रोद्योगिकियाँ– प्रशिक्षण तकनीकें जो दुनिया भर के शीर्ष चिकित्सा स्कूलों में पहले से ही उपयोग की जा रही हैं।
PETA इंडिया के स्टाफ वैज्ञानिक डॉ. रोहित भाटिया ने डॉ. मेहता से तथा स्नातकोत्तर की समिति के सदस्यों से मुलाक़ात कर आग्रह किया कि मेडिकल एजुकेशन रेग्युलेशन-2000 में परिवर्तन करते हुए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में से पशु विच्छेदन व जीवों पर प्रयोगों को हटा दिया जाए। PETA इंडिया ने वर्तमान स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत नारायन नड्डा को भी पत्र लिखकर स्नातकोत्तर शिक्षण में जीवों जंतुओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने हेतु मदद की गुहार लगाई है।
PETA इंडिया, “प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स एक्ट 1960” का संज्ञान लेता है जिसमे कहा गया है की यदि प्रशिक्षण की अन्य तकनीकें उपलब्ध हैं तो जीव-जंतुओं का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीए फार्मेसी काउंसिल तथा भारतीए डेंटल काउंसिल ने स्नातक व परास्नातक दोनों के ही शिक्षण पाठ्यक्रमों में जीव जंतुओं के इस्तेमाल को पहले से ही बंद कर दिया है। भारतीए मेडिकल काउंसिल ने स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। PETA इंडिया इस बात का भी संज्ञान लेता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा के मेडिकल स्कूलों ने छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए जीव जंतुओं के उपयोग की जगह पशु रहित तकनीकों को अपना लिया है अब समय आ गया है कि भारत भी ऐसा ही करे।
अध्ययनों से पता चलता है कि पशुओं पर परीक्षण करने के दौरान छात्रों को सदमा लग सकता है, उनमे जानवरों के प्रति असंवेदनशीलता बड़ जाती है तथा यहाँ तक की बहुत से छात्र विज्ञान के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने से विचलित हो जाते हैं।
सदमे के दौरान गैर पशु विधियों का उपयोग करके पढ़ाये गए छात्रों को जटिल जैविक प्रक्रियाओं के बारे में बेहतर समझ है, सीखने कि दक्षता में वृद्धि है तथा परीक्षा परिणाम भी बेहतर हैं।
PETA इंडिया भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद से आग्रह करता है कि वह इस प्रभावी, नैतिक तथा कम लागत वाली गैर पशु पद्धतियों का पक्ष लेते हुए स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में पशुओं के समस्त प्रकार के प्रयोगों पर व्यापक प्रतिबंध लगाए।“
छात्रों, यदि आपका विश्वविद्यालय या कालेज परीक्षण हेतु आपको जानवरों का विच्छेदन करने या उन्हे उपयोग करने के लिए मजबूर करता है तो कृपया [email protected]. पर हमे लिखे। हम इसे रोकने के लिए आपकी सहायता करेंगे।