मुस्लिम दोस्त बता रहे हैं की वो पशुओं पर क्रूरता किए बिना कैसे ईद मानते हैं।

Posted on by Surjeet Singh

हमने अपने मुस्लिम दोस्तों से पूछा, की वो ईद-उल-अज़हा कैसे मना रहे हैं तो उन्होने कुछ इस प्रकार से जवाब दिये –

अलताब हुसैन- वीगन, पशु अधिकार कार्यकर्ता तथा वीगन इंडिया मूवमेंट के सह संस्थापक – ईद-उल-अज़हा पर मैं अपना पैसा व समय जानवरों की सुरक्षा पर खर्च करता हूँ। मुझे आशा है की भगवान मेरे इस पुण्य कर्म को स्वीकार करेगा। मेरे लिए यह दुखद दिन है। मैं अपने परिवार एवं दोस्तों को समझाने की कोशिश करता हूँ की जानवरों की कुर्बानी न दी जाए।

खालिद कुरैशी शाखाहरी एवं पशु अधिकार कार्यकर्ता- “इस्लाम में कहा गया है की ईद-उल-अज़हा के मौके पर हमको कुछ ऐसा कुर्बान करना चाहिए जो हमे बेहद अजीज हो ना की (बाज़ार से खरीद कर) खुद के लालच के लिए किसी जानवर को कुर्बान किया जाए। इंसान को अपनी बुरी आदतों की कुर्बानी देनी चाहिए जैसे की मैं अपने गुस्से को त्याग कर प्यार और खुशियाँ बांटता हूँ। मैं बेघर लोगों में पैसा व खाना दान करता हूँ।”

शहीदा हुसैन, वीगन तथा पशु अधिकार कार्यकर्ता – मेरा मजहब इंसानियत है और सारे जानवर मेरे लिए फरिश्ते समान हैं। मैं अपने दोस्तों और परिवार के लोगों को समझाती हूँ की आप जानवर की कुर्बानी न दें बल्कि अपने लालच, अहंकार व बुरी आदत को कुर्बान करें। मैं पूरा दिन रोज़ा रहती हूँ व कुत्तों एवं बिल्लियों को खाना खिलाती हूँ।

फ़ैज़ अल युनूज़-  वीगन एवं पशु अधिकार कार्यकर्ता- “एक वीगन होने के नाते मैंने बकरीद पर अपने अहंकार की कुर्बानी दी। मैं और मेरा परिवार अच्छे कार्यों के लिए दान करते हैं और इस साल हमने केरल बाढ़ पीड़ितों की मदद की खासकार जानवरों की। मैं हमेशा अपने रिशतेदारों को समझाने की कोशिश करता हूँ की हर साल आने वाले इस रिवाज़ (जानवरों की कुर्बानी) को बंद करें और यदि नहीं तो फिर कुर्बानी के मांस को घर ना लाये।”

बेनज़ीर सुरैया- वीगन एवं पशु अधिकार कार्यकर्ता- एक मुस्लिम तथा वीगन होने के नाते मैं ईद-उल-अज़हा, अपने अहंकार को कुर्बान कर शोषितों की मदद करके मानती हूँ।

आमना नक़वी- वीगन एवं पशु अधिकार कार्यकर्ता – मेरे लिए ईद-उल-अज़हा हमेशा त्यौहार की भावना को आत्मसात करने जैसा रहा है यानि की इंसानियत को सबसे ऊपर रखते हुए निस्वार्थ भावना से उसकी भलाई हेतु अपना सबकुछ देना। त्यौहार का मतलब मूक एवं निर्दोष जानवरों पर क्रूरता करना नहीं है। एक मुस्लिम होने के नाते मुझे अपने अनुष्ठानों एवं परम्पराओं के प्रति अपने विश्वास तथा मूल्यों पर गर्व है। अब समय है की हम इंसान इस बात को समझे की ये दुनिया इंसान और जानवर दोनों के लिए है। आप सबको ईद मुबारक।

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