‘बर्ड फ्लू’ के कारण एक बच्चे की मौत के बाद PETA इंडिया का चेतावनी भरा बिलबोर्ड

For Immediate Release:

06 August 2021

Contact:

Hiraj Laljani; [email protected]

Monica Chopra; [email protected]

दिल्ली- गुरुग्राम के एक ग्यारह वर्षीय बच्चे की H5N1 बर्ड फ्लू से हुई मृत्यु के बाद पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया, ने बिलबोर्ड लगवाकर लोगों को चेतावनी दी की अगर संपूर्ण रूप से शाकाहारी भोजन नहीं अपनाया गया तो मुर्गियों के साथ-साथ इन्सानों के बच्चों की भी जान को ख़तरा है। PETA इंडिया द्वारा यह बिलबोर्ड AIIMS के बाहर लगवाया गया जहाँ इस बच्चे को इलाज़ के लिए लाया गया था। इस बिलबोर्ड के ज़रिये लोगों को मांस उद्योग के कारण फैलने वाली विभिन्न ख़तरनाक बीमारियों के संबंध में चेतावनी दी गयी जैसे H1N1 स्वाइन फ्लू जो इंसानों में फार्म पर पाले जाने वाले सूअरों से संक्रमित हुआ और कोविड-19 जिसकी शुरुआत कई विज्ञानिकों द्वारा जिंदा जानवरों की मंडी से मानी जाती है। इस साल की शुरुआत में रूस और चीन के पोल्ट्री फार्म कर्मियों में एवियन इन्फ्लूएंजा के कई प्रकार के मानव संक्रमण पाए गए और ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1918 में दुनियाभर में लगभग 50 मिलियन लोगों की जान लेने वाले ‘स्पेनिश फ्लू’ की शुरुआत भी अमेरीका के एक पशु फार्म से हुई थी।

यह बिलबोर्ड श्री अरविन्दों मार्ग, ब्लॉक C 2, अंसारी नगर ईस्ट, नई दिल्ली, दिल्ली 110016 में लगवाया गया है।

बर्ड फ्लू से संक्रमित होने वाले 60% इन्सानों की मृत्यु हो जाते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि बीमार या मृत पक्षियों से शारीरिक संपर्क और उन्हें गलत ढंग से पकाने के चलते कई ख़तरनाक संक्रमणों के फैलने का ख़तरा है और “अंडों की छाल और गूदे (सफेद और जर्दी) दोनों में H5N1 संक्रमण पाया जाता है। भारतवर्ष की जिंदा जानवरों की मंडियों को इन्सानों में H5N1 फैलने का बड़ा स्रोत माना जाता है और इनमें बीमार मुर्गियां मिलना बहुत आम है ।

PETA इंडिया की वीगन फ़ूड एंड न्यूट्रिशन स्पेशलिस्ट डॉ. किरण आहूजा ने कहा, “कोविड-19, बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू जैसे जूनोटिक रोगों का फैलाव उतना ज्यादा ही भयावह है जितना ज्यादा इनसे बचाव संभव है। PETA इंडिया सबको बताना चाहता है कि अगर आप वीगन खाद्य पदार्थ अपनाते हैं तो आप बीमारियों से भरे पशुपालन केन्द्रों और जिंदा जानवरों की मंडियों के खिलाफ़ लड़ाई को और मज़बूत करते हैं ।“

वर्ष 2003 के नवम्बर महीने से लेकर अबतक WHO को एशियाई H5N1 वायरस से संक्रमित 700 से अधिक लोगों की सूचना मिली है। ज्यादातर मामलों में, संक्रमित व्यक्तियों का बीमार या मृत मुर्गियों से संपर्क रहा है। US Centers for Disease Control and Prevention के अनुसार, अगर एशियाई H5N1 वायरस उत्परिवर्तित (mutate) होकर “इन्सानों से ही इन्सानों के बीच संक्रमित होने की क्षमता हासिल कर लेता है तो इससे इन्फ्लूएंजा महामारी का बड़ा ख़तरा है जिस कारण विश्वभर में बीमारी और मौत के आकड़ों में व्यापक बढ़ोतरी संभव है।“

मांस मुक्त जीवनशैली से न केवल रोगों के फैलाव में कमी आती है बल्कि कई पशुओं की घोर पीड़ा को भी समाप्त किया जा सकता है। वर्तमान मांस उद्योग के चलते भारी संख्या में जानवरों को बड़े-बड़े केन्द्रों में कैद करके पाला जाता है और उनके जिंदा रहते हुए ही उनके गले काट दिये जाते हैं।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधार है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। हमारे यहाँ एक मुफ़्त शाकाहारी/ वीगन स्टार्टर किट भी उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com  पर जाएँ और Twitter, Facebook, या Instagram पर हमें फॉलो करें।

#