PETA इंडिया ने भारतीय दवा नियंत्रक से COVAXIN के उत्पादन में शिशु बछड़े के सीरम को पशु-मुक्त विधि से बदलने का अनुरोध किया

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17 June 2021

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समूह ने यह सुझाव ऐसी रिपोर्ट आने के बाद दिए जिसके अनुसार भारत बायोटेक द्वारा कोविड-19 के वैक्सीन उत्पादन में शिशु बछड़ों के सीरम का प्रयोग किया जाता है

नई दिल्ली- आज सुबह PETA इंडिया ने पत्र लिखकर भारत के दवा महानियंत्रक डॉ. VG सोमानी से अनुरोध किया कि वह कोविड-19 वैक्सीन के उत्पादन में शिशु बछड़ों के सीरम (NBCS) के प्रयोग को पशु-मुक्त, व्यावसायिक रूप से उपलब्ध और उचित रासायनिक तरीके से बदलने के आदेश ज़ारी करें। यह सुझाव हाल ही में आयी रिपोर्ट के बाद दिए गए जिनके अनुसार, भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर बनाई गई COVAXIN नामक कोविड-19 की वैक्सीन के उत्पादन में NBCS का प्रयोग किया जाता है। NBCS को 20 दिन के शिशु बछड़ों को मारकर उनके खून से निकाला जाता है।

PETA इंडिया की साइन्स पॉलिसी एडवाइजर डॉ. अंकिता पांडे ने कहा, “इस सीरम हेतु शिशु बछड़ों को उनके जन्म के केवल कुछ समय बाद उनकी माताओं से अलग कर दिया जाता है जिससे बछड़ों और माँ दोनों को अत्याधिक मानसिक कष्ट का सामना करना पड़ता है। PETA इंडिया भारतीय दवा नियंत्रक से अनुरोध करता है कि वह यह सुनिश्चित करें कि वैक्सीन उत्पादक पशु-मुक्त तरीको का प्रयोग कर पशु-उत्पन्न सीरम से आने वाली बाधाओं को समाप्त करें।“

पशुओं के प्रति क्रूरता रोकथाम (वधशाला) नियम, 2001 के अनुसार, तीन महीने से कम उम्र के जानवरों और गर्भवती जानवरों का वध प्रतिबंधित है इसलिए वैक्सीन उत्पादन के लिए 20 दिन से कम उम्र के बछड़ों को मारकर उनसे मिलने वाले सीरम के प्रयोग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। भारत के विभिन्न राज्यों ने गायों और कई बार बछड़ों, बैल और भैंसों के वध पर प्रतिबंध लगा दिया है। हमारे देश में गायों और कई जगह बछड़ों का वध क़ानूनी रूप से प्रतिबंधित है इसलिए दूसरे देशों द्वारा जानवरों की हत्या कर निकाले गए सिरम के आयात को अनुचित और अनैतिक माना जाएगा।

वैक्सीन उत्पादन में NBCS जैसे पशुओं से मिलने वाले सीरम के प्रयोग के चलते अनुसंधान की गुणवत्ता और पुनरुत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इसके कारण अक्सर गैर-मानवीय प्रोटीन और पैथोजन्स के प्रयोग के कारण दूषितकरण का ख़तरा है। जानवर-मुक्त और पहले से उपलब्ध उत्पादों के प्रयोग के चलते बड़े स्तर पर होने वाले कोविड-19 वैक्सीन उत्पादन में सीरम की कमी के कारण देरी के खतरे को भी समाप्त किया जा सकता है।

पशु-मुक्त मीडिया पहले से व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हैं और इनका उपयोग मारे गए बछड़ों से मिलने वाले NBCS के बजाय वाइरस उत्पादन हेतु Vero सेल को उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है। PETA इंडिया वैक्सीन उत्पादन हेतु आधुनिक विधियों को तात्कालिक ढंग से अपनाने का समर्थन करता है खास तौर पर भारत जैसे देश में जहां गाय और उनके बछड़ों का जनता से धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से गहरा संबंध है और जहाँ गायों और बछड़ों को नुकसान देना दंडनीय अपराध है।

PETA इंडिया और उसके साथी वैज्ञानिक सीरम उत्पादन हेतु जानवरों के प्रयोग को समाप्त करने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं। PETA Science Consortium International e.V, (जिसका PETA इंडिया भी एक सदस्य है) के पास कई ऑनलाइन संसाधन है उनका प्रयोग करके शोधकर्ताओं द्वारा foetal bovine सीरम को सेल कल्चर मीडिया में बदला जा सकता है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारे परीक्षण करने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधार है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट  PETAIndia.com पर जाएँ और हमें TwitterFacebook या Instagram पर फॉलो करें।

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