राजस्थान सरकार ने आमेर के किले पर पर्यटन सवारी में इस्तेमाल हो रहे 20 बीमार हाथियों को काम से हटाने का आदेश दिया

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8 February 2021

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यह आदेश केंद्रीय सरकार द्वारा गठित कमेटी के सुझावों और PETA इंडिया द्वारा की गई विभिन्न अपीलों के बाद आया

जयपुर- पिछले शुक्रवार, “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” द्वारा “हाथी डिवीजन परियोजना” के तहत गठित कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों और पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA), इंडिया द्वारा कमेटी रिपोर्ट को लागू करने के अनुरोध के बाद राजस्थान वन विभाग ने “पुरातत्व और संग्रहालय विभाग” को आमेर के किले पर पर्यटन सवारी हेतु इस्तेमाल हो रहे 20 बीमार हाथियों को काम से हटाने का आदेश दिया। आदेश के अनुसार इन 20 अस्वस्थ्य, बूढ़े एवं कुपोषित हाथियों में से 3 टीबी की बीमारी से ग्रसित थे और कई अन्य दृष्ठि रोग एवं पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित थे।

राजस्थान वन विभाग के आदेश की एक प्रति को यहाँ से डाउनलोड किया जा सकता हैं।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 6 मार्च 2020 को जारी आदेशानुसार गठित कमेटी (जिसमें जयपुर के एक चिड़ियाघर के वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सा अधिकारी भी एक सदस्य थे) ने भी अपनी नई निरीक्षण रिपोर्ट में PETA इंडिया द्वारा की गई सिफारिशों को शामिल करते हुए हाथियों की बढ़ती उम्र एवं पर्यटकों की घटती रुचि के मद्देनज़र आमेर के किले में हाथी सवारी को बिजली या बैटरी से चलने वाले वाहनों से बदलने का सुझाव दिया था। इसके तुरंत बाद PETA इंडिया ने Desmania Design” नाम की डिज़ाइन कंपनी के साथ मिलकर “महाराजा” नामक एक आधुनिक इलैक्ट्रिक गाड़ी का डिज़ाइन तैयार कर इसे राजस्थान सरकार के सामने विचार हेतु प्रस्तुत किया।

PETA इंडिया की चीफ़ एडवोकेसी ऑफिसर खुशबू गुप्ता ने कहा, “हम राजस्थान सरकार के शुक्रगुजार हैं कि उन्होने विशेषज्ञ कमेटी की सिफ़ारिशों पर गौर करते हुए उन्होनें कुछ उम्रदराज़ एवं बीमार हथियों को तत्काल काम से हटाए जाने का आदेश दिया है।हम आशा करते हैं कि सरकार कमेटी के अन्य सभी सुझावों का पालन करते हुए पर्यटकों को शाही सवारी के अनुभव का अवसर प्रदान करेगी जिससे हाथियों को भी आराम मिलेगा और उन्हें ज़बरन सवारी कराने हेतु मज़बूर नहीं किया जाएगा।“

कमेटी द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया था की निरीक्षण किए गए 98 हाथियों में से 22 हाथी दृष्ठि रोग से ग्रसित थे और 42 हाथी पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित हैं जिनमें बढ़े हुए नाखून, कटे फटे तलवे और पथरीली सड़कों पर चलने के कारण पैरों में बन चुके जख्म शामिल हैं। इनमें से 29 हाथियों की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी, जो कि कैद किए गए हाथियों की औसतन उम्र जितनी है। कमेटी द्वारा जिन तीन हाथियों की जांच की गयी वह तीनों टीबी से ग्रसित पाए गए, वही वर्ष 2018 में भी भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा जाँचे गए यह तीन हाथी टीबी की बीमारी से ग्रसित थे। टीबी एक ख़तरनाक बीमारी है जो हाथियों से मनुष्यों में भी फैल सकती है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सभी हाथियों और महावतो की साल में दो बार टीबी की जांच ज़रूर होनी चाहिए।

PETA इंडिया इस सिद्धान्त के तहत कार्य करती है कि “जानवर हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नहीं हैं” और यह उच्चतम न्यायलय में क़ैदी हाथियों से संबंधित मामले में एक याचिकाकर्ता है। समूह द्वारा जयपुर के पास आमेर के किले और हाथीगांव में हाथियों के साथ होने वाली क्रूरता एवं हाथीसवारी हेतु अवैध प्रयोग के संदर्भ में की गयी शिकायतों के बाद कोर्ट ने इस मामले में एक कमेठी गठित करने का आदेश दिया था।

 PETA इंडिया प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ या Twitter, Facebook, और Instagram पर हमें फॉलो करें।

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