PETA इंडिया के बड़े से ‘कोंडोम’ बी काइंड टू एनिमल्स वीक के दौरान पशु जन्म नियंत्रण को बढ़ावा देंगे

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07 May 2024

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देहरादून – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया के दो समर्थकों द्वारा बी काइंड टू एनिमल्स वीक (5 से 11 मई) के दौरान देहरादून में बड़े से ‘कोंडोम’ के रूप में प्रदर्शन करके लोगों को पशु जन्म नियंत्रण के संदर्भ में जागरूक किया जाएगा। यह दोनों समर्थक अपने हाथ में एक साइन भी पकड़ेंगे जिसपर लिखा होगा, “कुत्ते कोंडोम का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। कृपया उनकी नसबंदी कराएँ।“ इन समर्थकों द्वारा जनता को Animal Birth Control (ABC) अर्थात पशु जन्म नियंत्रण के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए लीफलेट भी बांटें जाएंगे।

समय:  मंगलवार, 07 मई 2024, ठीक दोपहर 12 बजे

स्थान:  लेमन ट्री होटल के सामने प्लाजा क्षेत्र, पेसिफ़िक मॉल, राजपुर रोड, देहरादून 248001

PETA इंडिया के कैंपेनस कोऑर्डिनटोर उत्कर्ष गर्ग ने कहा, “हर साल, लाखों कुत्ते और बिल्लियाँ सड़कों पर पीड़ित होते हैं या पशु आश्रयों में मर जाते हैं क्योंकि उन्हें एक प्यारभरा घर नहीं मिल पाता है। PETA इंडिया सभी से कुत्तों और बिल्लियों की नसबंदी कराने का आग्रह करता है। और यदि आप अपने परिवार में कुत्ते या बिल्ली का स्वागत करने पर विचार कर रहे हैं, तो इन्हें खरीदने के बजाय किसी बेघर जानवर को गोद लें।“

देहरादून और पूरे भारत में, अनगिनत कुत्ते और बिल्लियाँ सड़कों पर जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनमें से कई पशुओं को रोज़ भूखमरी का सामना करना पड़ता है, लोगों द्वारा मारा-पीटा जाता है या मौत के घाट उतारा जाता है। इन पशुओं के चलती सड़क पर गाड़ी से चोट लगने का ख़तरा बना रहता है, या यह अन्य तरीकों से दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। इनमें से कई पशुओं को अच्छे घरों की कमी के कारण पशु आश्रयों में भेज दिया जाता है। जब भी कोई व्यक्ति पशु बिक्री दुकानों से या किसी ब्रीडर से कुत्ते या बिल्ली को खरीदता है तो किसी बेघर पशु को उसका घर मिलने का अवसर समाप्त हो जाता है। अग्रणी पशु कल्याण विशेषज्ञों के एक सलाहकार बोर्ड के साथ साझेदारी में Mars Petcare India की एक रिपोर्ट, State of Pet Homelessness Index के अनुसार, भारत में अनुमानित 80 मिलियन कुत्ते और बिल्लियाँ अपना जीवन सड़कों पर बीता रहे हैं।

इस समस्या का सीधा समाधान ABC है। एक मादा कुत्ते की नसबंदी करने से छह साल में 67,000 बच्चों को जन्म लेने से रोका जा सकता है और एक मादा बिल्ली की नसबंदी करने से 4,20,000 बच्चों के जन्म पर रोक लगाई जा सकती है। जिन पशुओं की नसबंदी कराई जाती है वो लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीते हैं और, मादा पशुओं के मामले में, उनके भटकने, लड़ने या काटने की संभावना कम हो जाती है।

केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत राज्यों हेतु पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 अधिसूचित किया है। इस नियम के अनुसार, नगर पालिका, नगर निगम और पंचायत जैसे संबंधित स्थानीय निकायों को सामुदायिक कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया गया है। PETA इंडिया कुत्ते और बिल्ली के अभिभावकों को भी अपने साथी जानवरों की नसबंदी करवाने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि पहले से ही पैदा हुए कई बच्चों को एक प्यारभरा अच्छा घर मिल सके एवं वह सभी एक शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सके।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “पशु किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी धारणा है जिसके तहत इंसान स्वयं को इस संसार में सर्वोपरि मानकर अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट PETAIndia.com पर जाएँ और हमें X (पहले Twitter)Facebook, तथा Instagram पर फॉलो करें।

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