मुंबई में शादियों में इस्तेमाल होने के कारण गंभीर शोषण का शिकार हो रही एक घोड़ी की हिरासत PETA इंडिया को मिली

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मैजिस्ट्रेट अदालत ने इस चोटिल और कमज़ोर घोड़ी को सेंक्चुरी में भेजने का आदेश दिया  

मुंबई- कल अंधेरी स्थित “मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट” की अदालती कार्यवाही के बाद जब्त की गयी एक घोड़ी की अन्तरिम हिरासत पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया को सौंप दी गयी है। संभवतः शादियों में इस्तेमाल होने के कारण शोषण का शिकार इस घोड़ी को PETA इंडिया और मुंबई पुलिस ने मिलकर रेस्क्यू किया था। कोर्ट ने ‘पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960’ के तहत अंतर्गत गठित “पशुओं की देखरेख और भरणपोषण” नियम 2017’ के आधार पर कार्यवाही करते हुए, PETA इंडिया द्वारा घोड़ी की देखभाल हेतु दिये गए आवेदन पर गौर करते हुए उक्त घोड़ी की अन्तरिम हिरासत PETA इंडिया को सौंपे जाने का आदेश सुनाया। अदालत में PETA इंडिया की ओर से इस केस की पैरवी वकील सेऔला वास ने की।

PETA इंडिया के इमरजेंसी रिस्पॉन्स कॉर्डिनेटर दीपक चौधरी ने कहा, “इस घोड़ी के शरीर पर लगे चोटों के निशान, टूटी हुई हड्डियाँ, सड़क पर गिरने से लगी रगड़ें, चाबुक की छाप और कमजोर व जर्जर शरीर इसके साथ हो रहे गहन शोषण का सबूत है। PETA इंडिया इसे जल्द से जल्द किसी बड़ी सेंक्चुरी में भेजना चाहेगा जहां उसे माल ढुलाई, सवारी कराने या शोरगुल वाले आयोजनों से दूर प्रकर्तिक परिवेश में खुल कर जीने व उचित देखभाल प्राप्त करने का मौका मिल सकेगा”

PETA इंडिया द्वारा दर्ज़ कराई गई शिकायत के परिणामस्वरूप इस घोड़ी को मुंबई पुलिस द्वारा दिसम्बर 2019 में, पश्चिमी अंधेरी स्थित कपासवाड़ी के एक अवैध तबेले से निकाला गया था यहाँ इसे एक छोटी-सी रस्सी से बांध कर जबरन कैद रखा गया था। इस तबेले में यह घोड़ी कुपोषण, पानी की कमी, शरीर पर संक्रमित घाव और एक आँख की कम रोशनी जैसे गंभीर रोगों से ग्रसित था। इस संदर्भ में अभियुक्त के खिलाफ़ DN नगर पुलिस स्टेशन में PCA अधिनियम, 1960 की धारा 3 और 11(1) (f), (g) और (h) के अंतर्गत FIR दर्ज़ की गई थी और घोड़ी को परेल स्थित बॉम्बे सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स (BSPCA) हॉस्पिटल में ज़रूरी पशुचिकित्सकीय जांच भी कराई गयी थी।

PETA इंडिया द्वारा “मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट अदालत” में डाले गए हस्तक्षेप आवेदन में उल्लेखित किया गया था कि मुंबई में इस घोड़ी के साथ-साथ कई अन्य घोड़ों को भी कैद करके रखा गया हैं जो कि बॉम्बे उच्च न्यायालय के जून 2015 में दिए गए फैसले का साफ़ उल्लंघन है जिसके तहत शहर में घोड़ों को रखने और उनके प्रयोग पर रोक लगाई गई थी। महाराष्ट्र पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सकों द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के अनुसार, यह जानवर परिश्रम करने हेतु असक्षम है और इसे उपचार के लिए सख्त देखभाल की आवश्यकता है। बॉम्बे सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स हॉस्पिटल (BSPCA) ने हाल ही में पुलिस से सिफ़ारिश की थी कि इस घोड़ी की विशेष देखभाल  एवं संरक्षण की ज़िम्मेदारी PETA इंडिया को सौंप दी जाए।

PETA इंडिया इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर किसी भी प्रकार से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है” और अपने इस जागरूकता वीडियो में, विवाह सूत्र में बंधने वाले जोड़ों से अनुरोध करता है कि वो अपनी शादी में घोड़ों या अन्य जानवरों की बजाए क्रूरता-मुक्त मोटर गाड़ियों जैसे लक्ज़री कार या मोटरसाइकिलों का प्रयोग करने का संकल्प लें।

PETA इंडिया प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की वह वर्चस्ववादी सोच है जिसमे वह स्वयं को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानकर अपने फ़ायदों के लिए दूसरी अन्य प्रजातियों के शोषण करने को सही मानता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ।

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