PETA इंडिया और “Desmania Design” ने आमेर के किले में हाथीसवारी की जगह “शाही इलेक्ट्रिक गाड़ी” इस्तेमाल करने का सुजाव दिया  

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29 January 2021

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यह प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा गठित कमेटी के हाथीसवारी को खत्म करने के सुझाव के बाद सामने आया

जयपुर- “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” द्वारा “हाथी डिवीजन परियोजना” के तहत गठित कमेटी की निरीक्षण रिपोर्ट में हाथीसवारी की जगह बिजली से चलने वाले वाहनों को इस्तेमाल करने का सुझाव आने के तुरंत बाद पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA), इंडिया ने Desmania Design” नाम की अग्रणी डिज़ाइन कंपनी के साथ मिलकर एक “आधुनिक इलैक्ट्रिक गाड़ी” का सुझाव दिया। आज/कल राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी के साथ हुई एक औपचारिक भेंट में सरकार को इस पर विचार करने हेतु यह सुझाव उनके सामने प्रस्तुत किया गया। PETA इंडिया और “Desmania Design” ने इस शाही सवारी जैसे “आधुनिक इलैक्ट्रिक गाड़ी” के अनूठे डिज़ाइन का नाम “महाराजा” (नीचे फ़ोटो दिया गया है) प्रस्तावित किया है। इस गाड़ी से एक बार में चार पर्यटकों को ले जाया जा सकता है और यह आमेर के किले की चढ़ाई करने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

PETA इंडिया की प्रतिनिधि ने हाथीसवारीसे संबन्धित एक फ़ैक्टशीट के माध्यम से आमेर के किले पर हाथियों के साथ दुर्व्यवहार होने के उपरांत हाथियों द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया से उनको लगी गंभीर चोटों, मौतों और सामाजिक संपत्ति को पहुंचे नुकसान के साक्ष्य प्रस्तुत किए तथा मुख्यमंत्री जी से अनुरोध किया कि सामान्य जनता एवं पर्यटकों को इस तरह के स्वास्थ जोखिमों से बचाया जाए।

PETA इंडिया और Desmania Design” कंपनी द्वारा राजस्थान के मुख्यमंत्री जी दिये गए प्रस्तावित गाड़ी के फोटो, फेक्टशीट एवं उनके साथ हुई मीटिंग की फोटो यहाँ से डाउनलोड किया जा सकता है।

PETA इंडिया की चीफ़ एडवोकेसी ऑफिसर खुशबू गुप्ता ने कहा, “मंत्रालय द्वारा PETA इंडिया के विचारों को सुना गया, जो कि मंत्रालय की संवेदनशीलता को प्रकाशित करता है। अब हम आशा करते हैं कि इस अनूठी और भव्य सवारी से न केवल पर्यटकों को शाही अनुभव मिल सकेगा बल्कि हाथियों को भी आराम मिलेगा और उन्हें ज़बरन सवारी कराने हेतु मज़बूर नहीं किया जाएगा।”

“Desmania Design” के मैनेजिंग डायरेक्टर अनुज प्रसाद ने कहा, “हमें क्रूर और बहुत पुरानी हाथीसवारी की प्रथा को समाप्त करने हेतु यह विकल्प प्रस्तुत करते हुए बहुत खुशी को रही है। यह ना सिर्फ पर्यावरण के लिए उपयुक्त है बल्कि जानवरों की बेहतरी का भी स्रोत है और इसकी सवारी पर्यटकों के लिए एक यादगार अनुभव साबित होगा।”

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 6 मार्च 2020 को जारी आदेश का अनुसरण करते हुए केंद्र सरकार द्वारा गठित कमेटी ने अपनी नई निरीक्षण रिपोर्ट में PETA द्वारा की गई सिफारिशों को शामिल करते हुए हाथियों की बढ़ती उम्र एवं पर्यटकों की घटती रुचि के मद्देनज़र हाथी सवारी को समाप्त करने का सुझाव दिया था। हाथियों में पाये गए दृष्ठि रोग का संज्ञान लेते हुए कमेटी ने हाथियों को सवारी के लिए इस्तेमाल न करने और नए हाथियों को इस कार्य में ना लाने की भी सिफ़ारिश की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि निरीक्षण किए गए 98 हाथियों में से 22 हाथी दृष्ठि रोग से ग्रसित थे और 42 हाथी पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित हैं जिनमें बढ़े हुए नाखून, कटे फटे तलवे और पथरीली सड़कों पर चलने के कारण पैरों में बन चुके जख्म शामिल हैं। इनमें से तीन हाथियों को टीबी की बीमारी थी जो एक जानलेवा बीमारी है और हाथियों से पर्यटकों में भी फैल सकती है।

PETA इंडिया इस सिद्धान्त के तहत कार्य करती है कि “जानवर हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नहीं हैं” और यह उच्चतम न्यायलय में क़ैदी हाथियों से संबंधित मामले में एक याचिकाकर्ता है। समूह द्वारा जयपुर के पास आमेर के किले और “एलिफेंट विलेज” में हाथियों के साथ होने वाली क्रूरता एवं हाथीसवारी हेतु अवैध प्रयोग के संदर्भ में की गयी शिकायतों के बाद कोर्ट ने इस मामले में एक कमेठी गठित करने का आदेश दिया था।

PETA इंडिया प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ या Twitter, Facebook, और Instagram पर हमें फॉलो करें।

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