नीति आयोग ने पुष्टि की :- मांस एवं अंडों हेतु सब्सिडी का प्रस्ताव नहीं

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23 January 2020

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 मांस एवं अंडे वितरण योजना के खिलाफ पशु संरक्षण एवं स्वास्थ एडवोकेसी समूह ने वीगन उत्पादों को बढ़ावा देने की जबर्दस्त सिफ़ारिश की

दिल्ली- नीति आयोग ने फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गेनाईजेशन (FIAPO) जिसका PETA इंडिया भी एक सदस्य है, को आशवासन दिया है कि उन्होने जन वितरण प्रणाली के तहत माँस (मछ्ली सहित) एवं अंडो पर सब्सिडी दिये जाने की कोई योजना प्रस्तावित नहीं की है और इस मामले में आने वाली समस्त खबरें पूरी तरह से बेबुनियाद हैं।

इसके पहले PETA इंडिया, FIAPO जो कि भारत के कई पशु अधिकार संगठनों से मिलकर बना एक समूह है, तथा स्वास्थ एडवोकेसी समूह- सेंक्चुरी फॉर हेल्थ एंड री-क्नेशन टू एनिमल्स एंड नेचर (SHARAN) द्वारा नीति आयोग को पत्र भेजकर इस तरह के प्रस्ताव से पशुओं, पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ पर पड़ने वाले दुश-परिणामों पर चेतावनी देने तथा वीगन भोजन को बढ़ावा दिये जाने की सिफ़ारिश किए जाने पर नीति आयोग ने यह स्पष्टीकरण जारी किया है।

PETA इंडिया की वीगन आउटरीच कोर्डिनेटर डॉ. किरण आहूजा कहती हैं- “नीति आयोग ने उन समस्त अफवाहों को खारिज कर दिया है जो पशुओं, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ हेतु विनाशकरी साबित हो सकती थी। अब माँस एवं अंडों पर सब्सिडी दिये जाने वाली बात निरधार है तो PETA इंडिया सभी से अनुरोध करता है कि लोग स्वयं के विवेक का इस्तेमाल करें व केवल मानवीय एवं स्वास्थ वर्धक वीगन भोजन को चुनें”

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं है”, ने नीति आयोग को भेजे गए अपने पत्र में कहा था कि बहुत से अध्ययनों से यह पता चला है कि जो लोग अत्यधिक अंडों का सेवन करते हैं उनमे सामान्य लोगों की अपेक्षा हृदय रोग होने का जोखिम 19% अधिक होता है जबकि पहले से ही मधुमेह रोग से पीड़ित लोग यदि अत्यधिक अंडो का सेवन करते हैं तो उनमे हृदय रोग होने का जोखिम 83% अधिक होता है। 14 अध्ययनों पर आधारित जर्नल Atherosclerosis में प्रकाशित एक निष्कर्ष में यह बताया गया है कि ज्यादा अंधे खाने वाले लोगों में मधुमेह होने का खतरा 68% अधिक होता है।

PETA समूह ने यह संज्ञान लिया कि US Academy of Nutrition and Dietetics, एक खाद्य एवं पोषण के पेशेवरों की एक प्रतिष्ठित संस्था ने यह दावा किया है कि “उचित रूप से नियोजित शाकाहारी डाइट जिसमे वीगन उत्पाद भी शामिल हैं मानव स्वास्थ के लिए लिए उत्तम, पोषण से भरपूर, स्वास्थवर्धक तथा अनेकों बीमारियों की रोकथाम एवं उपचार हेतु मददगार है”।

PETA इंडिया ने यह भी बताया है कि माँस, अंडा एवं डेयरी उद्योग का अत्यधिक इस्तेमाल बड़े पैमाने पर पशुओं की पीड़ा एवं जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख कारण है।

PETA इंडिया प्रजातिवाद का विरोध करता है यह इंसान की वर्चस्ववादी सोच का परिचायक है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट पर PETAIndia.com जाएँ।

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