मुर्गीपालन व्यवसाय में अवांछित चूजों की क्रूर एवं गैरकानूनी हत्याओं पर महाराष्ट्र सरकार लगाएगी रोक

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18 मार्च 2020

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PETA इंडिया की शिकायत के बाद, राज्य पशुपालन विभाग ने आदेश जारी किया

पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया से “मुर्गी पालन केन्द्रों में अंडा न देने वाले नर चूजों की बेरहम हत्याओं के बारे में” लिखे गए पत्र के प्राप्त होने पर महाराष्ट्र पशुपालन विभाग के अतिरिक्त आयुक्त डॉ.  धनंजय पारकले जी ने तत्काल इन गैरकानूनी तरीकों को रोकने के लिए जिला कलेक्टरों और जिले की सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स को एक आदेश जारी किया। अधिकारियों ने चूजों की क्रूर हत्याओं को बंद करने के लिए मुर्गी पालन केन्द्रों को निर्देश देने का आह्वान किया है कि, द प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स (पीसीए) अधिनियम, 1960, उल्लंघन नहीं होना चाहिए, बल्कि भारत के पशु कल्याण बोर्ड (एडबल्यूबीआई) द्वारा मान्य तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। अंडा उद्योग में आमतौर पर, अवांछित नर चूजों को, और अन्य कमजोर चूजों को, पीसकर, कुचलकर, जलाकर, डुबाकर मारा जाता है या कभी उन्हें मछलियों का भोजन बना दिया जाता है ।

PETA इंडिया ने राज्य सरकार को लिखे अपने पत्र में बताया है कि अवांछित चूजों को मारने के सामान्य क्रूर तरीके जाहिर तौर पर पीसीए अधिनियम, 1960 की धारा 11 (1) (L) का उलंघन करते हैं। PETA समूह ने अनुरोध किया है कि राज्य के मुर्गी पालन केन्द्रों को AWBI, एलसीआई व विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित नाइट्रोजन और अक्रिय गैसों का उपयोग किया जाना चाहिए और साथ ही, सरकार चाहती है कि, अंडा उद्योग, OVO  सेक्स-निर्धारण तकनीक जब भी उपलब्ध होगी तब उस तकनीक का उपयोग करे। यह नई तकनीक है, जो विदेशों में विकसित की गई और जल्द ही व्यावसायिक रूप से यहाँ भी उपलब्ध होगी, इस तकनीक के माध्यम से शुरुआती चरण में ही नर भ्रूण की जाँच के जा सकेगी व जन्मे हुए चूजों की क्रूर मौत न हो इस हेतु निर्णय लिया जा सकेगा।

भारत में चूजों की क्रूर हत्याओं पर तैयार एक रिपोर्ट, वीडियो फुटेज और तस्वीरें यहां देखी और डाउनलोड की जा सकती हैं। 

PETA इंडिया के CEO एवं पशु चिकित्सक डॉ. मणिलाल वलियाते कहते हैं “अनगिनत नर चूजों की भीषण हत्या इसलिए होती है क्योंकि वे अंडे नहीं दे सकते और अंडा व्यवसायिकों को इनसे कोई मुनाफ़ा नहीं मिलता। यह क्रूर प्रथा रुकनी चाहिए। हम आभारी हैं कि महाराष्ट्र सरकार मुर्गीपालन उद्योग द्वारा अवांछित चूजों  की अवैध हत्या और उनपर होने वाली क्रूरता पर रोक लगा रही है। हम सामान्य जनता से अनुरोध करते हैं की वो इन मासूम मुर्गियों पर रहम करें व वीगन जीवनशैली का ही चुनाव करें।“

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय द्वारा जारी बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी 2019  की रिपोर्ट के अनुसार अंडा उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र अग्रणी राज्य है। इसलिए यह बेहद जरूरी है की जब भी लिंग निर्धारण हेतु OYO तकनीक उपलब्ध हो उसे तत्काल रूप से यहाँ लागू किया जाये।

फ्रांस, स्विटजरलैंड और जर्मनी इन देशों ने लिंग निर्धारण तकनीक हेतु  € 5 मिलियन का निवेश किया है। इन सभी देशों ने जीवित नर चूजों की क्रूर हत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाए हैं, जो आमतौर पर उन देशों में प्रचलित है। स्विस संसद ने माना है कि “नर चूजे अंडे नहीं दे सकते सिर्फ इसलिए उनकी हत्या कर देना, हर किसी के लिए हैरानी की बात है। केवल अंडों या मांस के लिए प्रजनन करने की यह प्रवृत्ति पशु को उत्पादन की एक वस्तु में बदल देती है और जीवित नर चूजों को पीसकर मरने जैसी बेतुकी गतिविधियों की ओर ले जाती है, जो की मानवीय सोच के खिलाफ है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की वर्चस्ववादी सोच को दर्शाता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएं।

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