PETA इंडिया की अपील के बाद झारखंड ने घोड़ों को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल होने वाली कांटेदार लगामों के उपयोग, बिक्री, निर्माण और व्यापार पर रोक लगा दी
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26 March 2025
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रांची – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की अपील के बाद, झारखंड के पशुपालन निदेशक सह राज्यकीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड के सदस्य सचिव ने सभी जिला पशु क्रूरता निवारण समितियों के पशुपालन अधिकारी सह सदस्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे अवैध कांटेदार लगामों के उपयोग, बिक्री, निर्माण और व्यापार को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें। इन लोहे की काँटेदार लगामों को घोड़ों के मुंह के अंदर पहनाकर घोड़ों को दर्द और तकलीफ देकर नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। PETA इंडिया की अपील में भारत सरकार के केंद्रीय निकाय, भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) के एक निर्देश का हवाला दिया गया था, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इन क्रूर उपकरणों के व्यापार, निर्माण और स्वामित्व पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया गया था।
इस सर्कुलर की कॉपी मांगे जाने पर उपलब्ध कारवाई जाएगी।
PETA इंडिया के एडवोकेसी एसोसिएट तुषार कौल ने कहा, “यह निर्णय झारखंड में घोड़ों के प्रति क्रूरता को खत्म करने में अहम भूमिका निभाएगा। PETA इंडिया इस कदम का स्वागत करता है और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह करता है कि वे घोड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और हानिकारक कांटेदार लगामों के निर्माण व बिक्री पर रोक लगाएं।”
घोड़ों को नियंत्रित करने हेतु प्रयोग होने वाली कांटेदार लगामें उनके मुँह में 2-3 इंच तक गहराई में पहनाई जाती हैं और उन पर लगे कांटे घोड़ों के होंठ व जीभ को छलनी कर देते हैं जिससे उन्हें अत्यधिक पीड़ा और आजीवन क्षति का सामना करना पड़ता है। ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ के तहत बनाए गए ‘पशु क्रूरता निवारण – ड्रॉट एवं पैक पशु नियम, 1965’ के नियम 8 के अंतर्गत, “सभी प्रकार की नुकीली लगामों, छड़ियों, कटीले पट्टे व अन्य तरह के नुकीले उपकरणों” के उपयोग पर रोक लगाई गई है। इसके बावजूद, घोड़ों को शादियों में सवारी कराने, गाड़ियां खींचने और माल ढोने के लिए मजबूर करने के दौरान इनका धड़ल्ले से उपयोग किया जाता है।
हाल ही में, नागालैंड, मध्य प्रदेश, अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, लद्दाख, राजस्थान और मेघालय की सरकारों ने भी PETA इंडिया के अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए पत्र जारी किए, जिसमें कांटेदार लगामों के उपयोग, निर्माण और व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की अपील की गई थी।
PETA इंडिया जो इस धारणा में विश्वास रखता है कि “पशु मनुष्यों द्वारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्योंकि यह एक ऐसी विचारधारा है जिसमें मनुष्य इस संसार में स्वयं को सर्वोपरि मानकर अपनी अलग अलग जरूरतों के अनुसार अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। हमने हाल ही में आगरा, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, महाराष्ट्र, मैसूर, अमृतसर, मोहाली और पंचकुला समेत कई शहरों में पुलिस के सहयोग से घोड़ों के अस्तबलों में छापेमारी की। पुलिस के साथ मिलकर चलाए गए इन संयुक्त अभियानों के दौरान 1000 से अधिक कांटेदार लगामें जब्त की गईं।
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