PETA इंडिया द्वारा सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने हेतु दायर याचिका पर सुनवाई के उपरांत दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी किया

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21 July 2020

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PETA समूह ने कोर्ट को सूचित किया था सर्कसों में फसे हुए जानवर भूखे मर रहे हैं।

नयी दिल्ली : पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने “प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) (संशोधन) नियम 2018” का हवाला देते हुए माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक की मांग की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय दिल्ली उच्च नयालय ने मतस्य, पशु पालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड(AWBI), केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) ततः सर्कसों को एक नोटिस जारी किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 17 अगस्त को होगी।

PETA इंडिया की सीनियर लीगल काउंसिल स्वाति सुंबली कहती हैं- “भारतीय सर्कसों में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने में पहले से ही एक वर्ष की देरी हो चुकी है जिस कारण जानवर बेचारे लगातार दुर्व्यवहार का शिकार हो रहे हैं। बहुत से देश जैसे बोलिविया, बोबोसनिया, हेर्जेगोविना, साइप्रस, ग्रीस, गौटेमाला, इटली एवं माल्टा ऐसे देश हैं जिंहोने पहले से ही सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। और हमे उम्मीद है कई माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के चलते भारत के जानवरों कको भी जल्द न्याय मिलेगा।“

याचिका में PETA इंडिया ने कहा था कि सर्कस में जानवरों के साथ अत्यधिक दुर्व्यवहार एवं मारपीट की जाती है तथा मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रखा जाता है जो कि अनेकों दिशानिर्देशों के अलावा बहुत से पशु क़ानूनों का स्पष्ट उलंघन है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर फ़ैली COVID-19 महामारी के मद्देनजर PETA इंडिया ने सर्कस में इस्तेमाल होने वाले पशुओं से गंभीर जूनोटिक रोगों के फैलने का हवाला भी दिया था जिनका संक्रमण इन्सानों में भी फैल सकता है जैसे हाथियों से टीबी का रोग एवं  घोड़ों से ग्लेन्डर। याचिका में PETA इंडिया ने माननीय उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वर्तमान में इन सर्कसों में इस्तेमाल होने वाले जानवरों में से घोड़ों, हाथियों, ऊंटों एवं पक्षियों को किसी मान्यता प्राप्त सेंक्चुरी या पुनर्वास केंद्र भेजा जाए जबकि कुत्तों को गोद लिए जाने हेतु कार्यवाही की जाए।

AWBI तथा CZA द्वारा किए गए बहुत सी जाँच, जिंसमे PETA इंडिया भी एक सदस्य रहा है, में यह देखा गया है कि सर्कसों में जानवरों के साथ बहुत ज्यादा क्रूरता की जाती है, उन्हें जंजीरों में जकड़कर रखा जाता है, पर्याप्त भोजन, पानी, चिकित्सीय देखभाल एवं शेल्टर से वंचित रखा जाता है। उनसे जबरन भ्रामक, दर्दनाक एवं असहज कर दिये जाने वाले करतब करवाए जाते हैं व उन सब महत्वपूर्ण सुविधाओं से वंचित रखा जाता है जो प्रकर्तिक रूप से उनके कल्याण के लिए जरूरी हैं। बहुत से जानवर ऐसा व्यवहार करते नजर आते हैं जो उनके तनावग्रस्त होने का संकेत देता है।

सन 2015 से अब तक PETA इंडिया एवं अन्य पशु अधिकार संगठनों द्वारा पुलिस तथा वन विभाग के साथ मिलकर किए गए प्रयासों के चलते 100 से अधिक जानवरों का रेसक्यू कर उन्हें देखभाल हेतु सेंक्चुरी में भेजा जा चुका है। इन जानवरों में 15 हाथी व अनेकों घोड़े, ऊंट, कुत्ते एवं पक्षी शामिल हैं।

PETA इंडिया प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की उस वर्चस्ववादी सोच को दर्शाता है जिसमे इंसान दुनिया में स्वयं को सबसे ऊपर मानकर अपने फ़ायदों के लिए संसार की अन्य प्रजातियों के शोषण को सही मानता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएं।

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