बिहार सरकार घोड़ों व अन्य जानवरों पर इस्तेमाल होने वाली काँटेदार लगाम की बिक्री व उसके इस्तेमाल के खिलाफ शिकंजा कसेगी

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17 September 2020

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PETA इंडिया की शिकायत के बाद, राज्य पशुपालन आयोग द्वारा आदेश जारी किया गया

पटना – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा की गई एक अपील के बाद जिसमें कहा गया था कि बिहार राज्य में घोड़ों को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर काँटेदार लगाम (या नुकीली छड़) का इस्तेमाल हो रहा है जबकि ‘प्रीवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू ड्राट एंड पैक एनिमल रूल्स, 1965 अधिनियम’ के नियम 8 के तहत इस तरह की लगाम का इस्तेमाल गैरकानूनी है, राज्य के पशुपालन विभाग के निदेशक श्री विनोद सिंह गुनियाल जी ने बिहार के समस्त ज़िला पशुपालन अधिकारियों एवं जानवरों के प्रति क्रूरता के खिलाफ़ बनाई गयी ज़िला समितियों के सचिवों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राज्य में अश्वीय जानवरों (घोड़े, टट्टू, खच्चर या गधे) को नियंत्रित करने वाली लगाम का प्रयोग एवं बिक्री न हो। निर्देश मे उस प्रावधान का भी जिक्र किया गया था जिसके अंतर्गत काँटेदार लगाम, नुकीली छड़, खूंटी या इस प्रकार के अन्य नुकीले औज़ारों का प्रयोग जानवरों की सवारी करने के लिए या किसी गाड़ी को खीचवाने के लिए करना प्रतिबंधित है।

PETA इंडिया द्वारा की गई काँटेदार लगाम की क्रूरता संबंधी जांच का विडियो यहाँ उपलब्ध है। तस्वीरों को यहाँ देखा एवं डाउनलोड किया जा सकता है।

PETA इंडिया ने अपने पत्र मे इस तरह की काँटेदार लगाम के इस्तेमाल की अवैधता और अमानवीयता को इंगित किया था। जब शादियों, घुड़सवारी या माल ढुलाई के लिए इस्तेमाल होने वाले घोड़ों को नियंत्रित करने के लिए इन्हे प्रयोग मे लाया जाता है तो यह जानवरों के मुह के अंदर तक पहनायी जाती है जिससे उनके होंठ और जीभ कट जाते हैं। इस कारण जानवरों को अत्यधिक दर्द होता है, मुंह में घाव बन जाते हैं, मानसिक आघात होता है व उनका मुंह जीवन भर के लिए क्षतिग्रस्त हो जाता है।

PETA इंडिया के लीगल एसोसिएट आमिर नबी कहते हैं- “इस अवैध काँटेदार लगाम के इस्तेमाल से घोड़ों का मुंह छलनी हो जाता है व उन्हे बेहद दर्द एवं तनाव होता है। यह लगाम इसलिए नहीं है कि शादी व अन्य खुशी के मौकों पर हम घोड़ों को इस तरह से प्रताड़ित करें। हम बिहार सरकार के आभारी हैं कि उन्होनें इस लगाम के गैरकानूनी इस्तेमाल के खिलाफ कारवाई के आदेश दिये हैं और इस कार्य में यदि आवश्यकता पड़ी तो PETA इंडिया सरकार को हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार हैं”

बहुत से अन्य राज्यों जैसे असम, दिल्ली,गोवा हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, और उत्तर प्रदेश ने “‘प्रीवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू ड्राट एंड पैक एनिमल रूल्स, 1965 अधिनियम’ के नियम 8 को लागू करते हुए आदेश जारी किए हैं। PETA इंडिया पुलिस की सहायता हेतु न केवल अवैध रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों की खोज करने और उन्हें जब्त करने के लिए अभियान चला रहा है, बल्कि काँटेदार लगाम के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए नए कानूनों के निर्माण हेतु भी अभियान चला रहा है ताकि कानून में व्यापात खामियों को सही किया जा सके व इस प्रतिबंध को पूर्णतया लागू किया जा सके।

PETA इंडिया इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर किसी भी प्रकार से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की वह वर्चस्ववादी सोच है जिसमे वह स्वयं को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानकर अपने फ़ायदों के लिए दूसरी अन्य प्रजातियों के शोषण करने को सही मानता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ

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