जीत: बड़ी दवा निर्माता कंपनी Bristol-Myers Squibb (ब्रिस्टल-मायर्स स्कब) ने जबरन तैराकी परीक्षणों पर रोक लगाई

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छोटे जानवरों की जिंदगी बचाने से संबन्धित यह बड़ी खबर लगातार एक वर्ष के कढ़े प्रयास के बाद मिली। यह जीत दिलाने में समर्थकों के 800,000 ई-मेल, PETA US, PETA लैटिनो तथा दयालु शेयरधारकों द्वारा ऐसे क्रूर प्रशिक्षण बंद करने के प्रस्ताव, विज्ञापन, वीडियो और सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों ने एहम भूमिका निभाई।

BAN rats experiment demo India

PETA अमेरिका द्वारा यह अभियान तब शुरू किया गया जब समूह के एक वैज्ञानिक के द्वारा जाँचे गए दस्तावेजों में पाया गया कि वर्ष 2008 एवं 2017 के दौरान Bristol-Myers Squibb कंपनी के कर्मचारियों ने ऐसे कागज प्रस्तुत किए हैं जिनमे 1600 जीवों पर परीक्षण करने की बात सामने आई है, इन 1600 में चूहों की विभिन्न प्रजातियों शामिल हैं जैसे 748 गेब्रिल्स, 698 छुछुंदर व 192 चूहों पर यह जबरन तर्कहीन तैराकी परीक्षण किए गए। इस परीक्षण हेतु इन नन्हें जीवों को बाहर ना निकल सकने वाले पानी से भरे एक पात्र में डाल कर देखा जाता है कि पानी में डूबकर मरने के खौफ से बचने हेतु यह चूहे क्या करते हैं। ऐसे कई अन्य जानवर भी इस तरह के अत्याचार के शिकार हुए होने की संभावना हैं लेकिन उनसे जुड़े अध्ययन कभी प्रकाशित नहीं हो सके।

यह प्रयोग अक्सर इन्सानों में अवसाद अथवा तनाव दूर करने वाली दवाओं के निर्माण हेतु किया जाता है लेकिन इन प्रयोगों को व्यापक रूप से नकारा गया है। पिछले एक दशक में ब्रिस्टल-मायर्स स्कब कंपनी की प्रयोगशालाओं में 1,600 से अधिक नन्हें जीवों ने यह सोचा था कि वो पानी से भरे पात्र में हाथ पैर मारकर डूबकर मरने से बच जाएंगे। इन परीक्षणों में उनकी जान चली गयी लेकिन बाजार में एक भी नयी दवा नहीं आ सकी।

अब तक PETA एवं उसके सहयोगियों ने दवा निर्माण करने वाली 13 कंपनियों को नन्हें जीवों पर इस तरह के क्रूर परीक्षणों पर रोक लगाने हेतु राजी कर लिया है, इनमें 10 बड़ी फार्म कंपनियाँ शामिल हैं। हम यह दुबारा कर सकते हैं। Eli Lilly को तत्काल एक ई-मेल भेजकर कंपनी से अनुरोध कर सकते हैं कि अपने प्रतिद्वंदियों की तरह वह भी क्रूर जबरन तैराकी परीक्षणों पर आज ही रोक लगाएं ।

नन्हें जीवों को अपनी जान बचाने के लिए जबरन तैराने पर रोक लगनी चाहिए