खुशखबरी- PETA इंडिया की अपील पर महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज ने जानवरों पर परिक्षण करना बंद किया

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एक दयालु छात्र PETA इंडिया को सूचना दी कि हरियाणा के अग्रोहा में स्थित महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज में स्नातक कक्षाओं के छात्रों द्वारा ख़रगोश का गैरकानूनी इस्तेमाल हो रहा है। PETA इंडिया ने तत्काल कॉलेज के प्रधान निदेशक डॉक्टर गोपाल सिंघल से जानवरों के इस्तेमाल को रोकने के लिए अनुरोध किया। डॉ. सिंघल ने इस पर सहमति व्यक्त करते हुए जवाब दिया कि –

“अब से संस्थान स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रयोगों और प्रदर्शन हेतु पशुओं का उपयोग नहीं कर रहा है।“

rabbit photo for agrasen college victory ending animal dissection

कॉलेज को लिखे गए पत्र में PETA  इंडिया ने बताया कि भीड़भाड़वाली जग़ह में तारों के बने पिंजरों में दिनभर अपने ही मल- मूत्र में रहने और और तारों पर चलने की वजह से खरगोश के पंजे कट जाते हैं  इतना ही नहीं कईं दिनों तक वे भोजन से वंचित भी रहते थे जो की भारतीय मेडिकल काउंसिल की वर्ष 2014 की अधिसूचना तथा भारत सरकार के 2012 के निर्देशों का उलंघन करता है जिसमे यह कहा गया था कि स्नातक स्तर पर पशुओं पर परीक्षण की बजाए आधुनिक व गैर-पशु प्रयुक्त शिक्षण विधियों का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके साथ ही साथ, कमेटी फॉर द पर्पस ऑफ कंट्रोल एंड सुपरविजन ऑफ एक्सपेरिमेंट ऑन एनिमल्स (CPCSEA) द्वारा स्थापित नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।

प्रयोगों हेतु मौत का शिकार होने वाले जानवरों को नशीले पदार्थ देकर,  उनकी आंखों में खतरनाक रसायन डालकर अनेकों क्रूर परीक्षण किए जाते हैं।

तुलनात्मक अध्ययनों से पता चला है कि, पशु विच्छेदन और पशु प्रयागों की जग़ह आजकल गैर-पशु शिक्षण विधियां जैसे कंप्यूटर सिमुलेशन, इंटरैक्टिव CD-ROMs, फिल्म,चार्ट्स और अन्य जीवनदायी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, इसमें शिक्षकों के समय और पैसों की बचत होती है, क्यूंकि जानवरों की अपेक्षा इस तरह के आधुनिक परीक्षणों में बिना किसी अतिरिक्त लागत के एक ही प्रॉडक्ट को कई बार परीक्षण हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है।

पशुओं पर परीक्षण करने में क्या गलत है ?