PETA इंडिया की शिकायत के बाद पलक्कड़ में अवैध बैलगाड़ी दौड़ के लिए छह लोगों पर मामला दर्ज किया गया
पलक्कड़ के अलाथुर के थोनिपदम में हुई कलाप्पुट्टू बैल दौड़ के बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के माध्यम से जानकारी प्राप्त होने के बाद, PETA इंडिया ने पलक्कड़ पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर इस अवैध कार्यक्रम के आयोजकों और प्रतिभागियों के खिलाफ़ FIR दर्ज़ कराई है।
इस मामले में, शनिवार को अलाथुर पुलिस स्टेशन द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए एक अवैध दौड़ में दो जोड़ी बैलों का उपयोग करने के लिए, एक ज्ञात और दो अज्ञात प्रतिभागियों के साथ-साथ बैल दौड़ समिति के तीन सदस्यों के खिलाफ FIR दर्ज़ करी गयी थी। इस FIR में उल्लेखित किया गया कि मामले में आरोपी आयोजक द्वारा अवैध रूप से दौड़ का आयोजन किया गया और उन्हें शारीरिक रूप से पीड़ित करके दौड़ने के लिए मज़बूर किया गया जिससे इन पशुओं और दर्शकों दोनों की जान की गंभीर ख़तरा था। यह FIR ‘भारतीय न्याय संहिता, 2023’ की धारा 125 और 291 के तहत दर्ज की गई थी, जिसके अंतर्गत पशुओं के साथ लापरवाहीपूर्ण आचरण और दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने के खिलाफ़ प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। इसके साथ-साथ FIR में पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 3 और 11(1)(a) को भी जोड़ा गया है जिसके अंतर्गत पशुओं को मारने-पीटने और उन्हें अनावश्यक दर्द और पीड़ा देने के खिलाफ़ कानूनों प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
श्रम हेतु उपयोग होने वाली बैलों का जीवन इस प्रकार की दौड़ों के अलावा भी बहुत कष्टकारी होता है। दौड़ के दौरान, डरे हुए बैल दर्द से बचने के लिए भागने का प्रयास करते हैं। उन्हें आम तौर पर उनकी नाक की रस्सियों से खींचकर शुरुआती लाइन तक ले जाया जाता है और उनकी नाक की रस्सियों को बेरहमी से खींचा जाता है या उनकी पुंछ को दांतों से काटा जाता है।
8 दिसंबर 2021 को इसी तरह की एक घटना में PETA इंडिया की शिकायत के बाद मालमपुझा पुलिस स्टेशन ने आरोपी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए FIR दर्ज़ करी थी। इसके बाद, 19 मई 2022 को, पलक्कड़ के प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट III के माननीय न्यायालय द्वारा CC नंबर 239/2022 में सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 289 और 336 एवं PCA अधिनियम, 1960 की धारा 3 और 11(1)(ए) के तहत दोषी ठहराते हुए फैसला सुनाया गया था।
8 सितंबर 2015 को, केरल उच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया जिसमें कहा गया कि वह केंद्र सरकार की 7 जुलाई 2011 की अधिसूचना द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की टिप्पणियों और विचारों के आधीन है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि बैल शारीरिक रूप से दौड़ के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
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